दूधेश्वर नाथ मंदिर: इस स्थान पर रावण के पिता ने की थी तपस्या, छत्रपति शिवाजी ने करवाया था निर्माण

गाजियाबाद स्थित दूधेश्वर नाथ मंदिर छत्रपति शिवाजी ने बनवाया है। इस मंदिर में हर मुरादे मांगने पर पूरी होती है। यहां पुलस्त्य के पुत्र एवं रावण के पिता विश्रवा और रावण ने भी यहां घोर तपस्या की थी।

मुख्य बातें

  • दूधेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना छत्रपति शिवाजी ने करवाई थी।
  • इस मंदिर में शिवलिंग के आगे सर झुकाने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है
  • शिवरात्रि में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ लगती है

दिल्ली के एनसीआर में बसा गाजियाबाद का दूधेश्वर नाथ मंदिर बहुत ही पुराना मंदिर है। इस मंदिर में लोगों की हमेशा भीड़ हमेशा लगी रहती है। ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है।

दूधेश्वर नाथ का यह मंदिर रावण के काल से जुड़ा माना जाता है। इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था। हमारे पुराण में भी दूधेश्वर नाथ मंदिर का वर्णन किया गया है। उसमें बताया गया है कि पुलस्त्य के पुत्र एवं रावण के पिता विश्रवा और रावण ने भी यहां घोर तपस्या की थी।

इस मंदिर के बारे में अनेकों का कथाएं कहीं जाती हैं, जिनमें से एक कथा गाय की भी है। जब इस गांव के पास ही रहने वाले कैला की गाय यहां घास चरने के लिए आती थी। इस किले के ऊपर पहुंचते है गाय के थन से अचानक दूध गिरना शुरू हो जाता था।

खुदाई में मिला शिवलिंग

गांव वालों ने इस घटना को सुनकर उस मंदिर किले के सामने खुदाई की, तो वहां खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला, गाय के दूध से वह शिवलिंग हर बार घुल जाता था। इसलिए उस शिवलिंग का नाम दूधेश्वर नाथ पर गया।

दूसरी कहानी के अनुसार यह पहले एक सुरंग थी, जो कि रावण के गांव बिसरख और हिंडन पर निकलती थी। लेकिन समय के साथ-साथ यह सुरंग दबते चली गई।

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