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वैज्ञानिकों ने विकसित की गन्ने की दो नई किस्में
कम लागत में मिलेगा अधिक उत्पादन
वैज्ञानिकों ने विकसित की गन्ने की दो नई किस्में जिससे होगा कम लागत में अधिक उत्पादन, चीनी और गुड़ को तैयार करने के लिए गन्ने की फसल को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। परंतु गन्ने की फसल का उत्पादन बहुत ही कम होता है, मूल्य उतना अधिक नहीं होता, और लागत भी अधिक लगती है।
जिससे कि किसानों को अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता है, सिर्फ किसान अपनी लागत ही निकाल पाता है, क्योंकि चीनी मिलों के द्वारा सिर्फ सरकार के द्वारा तय किया गया मूल्य ही भुगतान किया जाता है, जो कि बहुत ही कम है। हालांकि गन्ने के मूल्य को कम देखते हुए कई राज्यों में गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की गई है।
गन्ने की इन दो किस्मों से होगी बंपर पैदावार
किसान भाइयों के इस प्रकार की समस्याओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गन्ने की दो नई किस्मों का विकास किया गया है, जो कि कम लागत के साथ अच्छी पैदावार देगी जिससे कि किसानों का मुनाफा बढ़ाया जा सके।
वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई दो किस्में UP14234 और को. शा. 17231 हैं, यह दोनों नई आई किस्मों का उत्पादन अच्छा है, और लागत कम आती है, जिससे कि किसान अच्छा मुनाफा कमा सकें।
गन्ने की सामान्य खेती के लिए जारी की गई किस्में
कुछ ही समय पहले उप समिति की बैठक में वैराइटल रिलीज कमेटी के द्वारा गन्ने की दो किस्मों को जारी किया गया है। जिसमें को.शा.17231 और UP14234 दोनों किस्मों को सामान्य खेती के लिए जारी कर दिया गया है।
आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय आर.भूसरेड्डी की अध्यक्षता मैं वैज्ञानिकों के द्वारा प्रस्तावित नवीन किस्मों के आंकड़े प्रस्तुत किए गए।
प्रस्तुत सभी आंकड़ों को गहनता पूर्वक अवलोकन करने के पश्चात उप समिति के द्वारा को.शा.17231 और UP14234 इन दोनों किस्मों का उत्तर प्रदेश में सामान्य खेती हेतु स्वीकृत किया गया।
किन क्षेत्रों मे उपयुक्त है गन्ना की नई किस्मे
वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई सभी किसने गन्ना उत्पादन की दृष्टि से बहुत ही अच्छी है, इन सभी किस्मों से चीनी उत्पादन में अधिक वृद्धि होगी।
यू.पी.14234 किस्म – उन क्षेत्रों के लिए बहुत ही अच्छी है, जहा पर उसर भूमि होती है, जहां गन्ने की खेती कम मात्रा में की जाती है। तथा
को.शा.17231 किस्म – उन क्षेत्रों के लिए अच्छी है, जहां पर जमात, व्यास क्षेत्र हैं। यह किस्म उत्पादन की दृष्टि से विकल्प के तौर पर बहुत अच्छी किस्में मानी जाती हैं।
इस गन्ना किस्म को किया प्रतिबंधित
वैज्ञानिकों के द्वारा पहले विकसित की गई किस्म को.पी.के.05191 को प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि इस किस्म में लाल सड़न रोग की शिकायत बहुत अधिक आ रही है।
इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा यह निर्णय लिया गया है, की इस किस्म का क्रय और विक्रय सत्र 2022 -23 मैं होगा इसके बाद इस किस्म को अस्वीकृत के रूप में माना जाएगा।
गन्ने की बेहतर उत्पादन देने वाली किस्में
नई किस्मों के अलावा गन्ने के कुछ पुरानी किस्में भी बेहतर उत्पादन के लिए जानी जाती है, उनमें से प्रमुख कुछ किस्में….
किस्म को.0230 को.0238( करन 4) :- इस किस्म को अच्छे उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है, इसकी परिपक्वता अवधि 12 से 13 महीने की होती है। साथ ही साथ इसका उत्पादन एक हेक्टेयर में 81 टन के लगभग होता है।
यह किस्म सभी राज्यों में जैसे – हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड के लिए बहुत ही अच्छी है। इस किस्म में लाल सड़न रोग का प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है।
किस्म को.86032 :- इस किस्म की उपज क्षमता 110 से 120 टन प्रति हेक्टेयर होती है, तथा इसकी परिपक्वता अवधि 12 से 14 महीने की होती है, इस किस्म को उत्पादन के लिए और अधिक मिठास के लिए जानी जाती है।
इस किस्म से बना हुआ गुड उत्तम क्वालिटी का होता है, तथा इसमें पायरील्ला तथा अग्रतना छेदक का प्रकोप बहुत ही कम देखने को मिलता है, साथ ही लाल सड़न प्रतिरोधी भी होती है।
किस्म को. 7318 :- इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही अधिक होती है, यह पपड़ी कीट रोधी किस्म है। जो 12 से 14 माह में तैयार हो जाती है, इस किस्म की उत्पादन क्षमता 120 से 130 टन प्रति हेक्टेयर के लगभग होती है।
इसमें शक्कर की मात्रा 18 से 20 प्रतिशत तक होती है।
किस्म को.जे.एन.86-600 :- इस किस्म को अधिक मिठास के लिए जाना जाता है, जिसकी अवधि 12 से 14 महीने की होती है। इसका उत्पादन 110 से 130 टन प्रति हेक्टेयर के लगभग होता है।
यह किस्म लाल सड़न प्रतिरोधी होती है, इस किस्म में पायरील्ला तथा अग्रतना छेदक का प्रकोप कम देखने को मिलता है।
किस्म को.से.13235 :- यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में बहुत ही जल्दी तैयार हो जाती है, इसकी अवधि 10 से 11 माह की होती है। परंतु इस की उत्पादन क्षमता 80 से 90 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
व्यवसाय के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह किस्म किसानों के लिए वरदान हो सकती है।
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