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लॉकडाउन में विदेश की नौकरी छोड़कर खास तरह से शुरू की गांव में खेती, अब होती है अच्छी कमाई
कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से लगे लॉकडाउन में बहुत से लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। हालात इतनी बुरी थी कि लोगों को शहर से पलायन करना पड़ा। ऐसे में आर्थिक स्थिति को ठिक रखने के लिए काम की तलाश करना भी बहुत बड़ी चुनौती थी, परंतु किसी-किसी के लिए यह अवसर साबित हुआ। आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति की बात करेंगे, जिसके लिए यह आपदा एक अवसर बन कर आया।
महानगरों की बेरुखी पर भारी पड़ी गांव की मिट्टी, विदेश की नौकरी छोड़ खेती में जुटे रामपाल
रामपाल भी दूसरे लोगों की तरह ही हैं बस अलग है उनकी कहानी। मध्य प्रदेश के अगरमालवा जिले के रामपाल विदेश की नौकरी छोड़ अपने गांव लौट आए। क्यों लौटे, रामपाल कहते हैं कि किसी भी प्राइवेट सेक्टर में १०-१२ घंटे काम करने के बाद किसी तरह की जॉब सिक्योरिटी नहीं है। गांव में मेरे यहां अच्छी खासी खेती है। पिता किसान हैं।
अगरमालवा जिले में बगलामुखी धाम नलखेड़ा के पास छोटे से गांव भैंसोदा के रहने वाले रामपाल तेजरा पाटीदार अफ्रीकी देश में अच्छे पद पर काम करते थे। कोरोना महामारी से कुछ माह पहले ही वे गांव आए। २२ मार्च को जनता कर्फ्यू लागू हो गया और अनिश्चय बढ़ता गया। कई कंपनियों में जारी छंटनी ने उन्हें भी परेशान कर रखा था। २४ मार्च को देश भर में लॉकडाउन की घोषणा की गई उधर, रामपाल ने तय कर लिया कि वे अब गांव में ही रहेंगे।
रामपाल बताते हैं, मेरी नौकरी पर तो कोई खतरा नहीं था लेकिन मेरे कई परिचितों की नौकरी पिछले कुछ महीनों में चली गई। वो लोग बहुत परेशान हैं। तभी से मेरे दिमाग में चल रहा था कि क्यों न गांव में ही रहकर कुछ किया जाए। मेरे पास जमीन भी है और गांव में घर भी। विदेश लौट जाना था लेकिन कोरोना महामारी से समूचे विश्व को लड़खड़ाता देख अपने हुनर को हिंदुस्तान में दिखाने के लिए संकल्प लिया। रामपाल के मुताबिक, यहीं से मैंने अपने बॉस को इस्तीफा भेज दिया और फैसला किया कि अब गांव में ही रहूंगा और खेती करूंगा।
लॉकडाउन के दौरान शुरू की खेती
वह व्यक्ति मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आगर मालवा के रहने वाले रामपाल पाटीदार (Rampal Patidar) की है। रामपाल पहले विदेश में नौकरी करते थे परंतु लॉकडाउन के दौरान उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती शुरू की, जिसके जरिए अब वह अच्छी कमाई कर रहे हैं।
हाईब्रिड तकनीक से शुरू की खेती
पिछले साल रामपाल छुट्टियों में भारत आए थे और उस दौरान कोरोना की वजह से यहां लॉकडाउन लग गया था। जिस वजह से वह वापस नहीं लौट पाए ऐसे में वह रोज़ अपने खेतों में जाते थे, जहां उनके पिता पारंपरिक खेती करते हैं। यह देख उन्होंने अनुमान लगाया कि अगर आधुनिक तरीके से खेती की जाए तो ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। जिसके बाद उन्होंने हाईब्रिड (Hybrid) खेती की शुरूआत की, जो पारंपरिक खेती से बिल्कुल अलग थी। उन्होंने आधुनिक तरीके से जैविक खेती शुरू की, जिसे उनकी सब्जियों की भी काफी डिमांड हो रही है।
रामपाल खुदा तैयार करते हैं खाद
स्वास्थ्य की वजह से लोग जैविक सब्जिया खरीद रहे हैं, जिससे रामपाल पाटीदार (Rampal Patidar) को अच्छा लाभ हो रहा हैं। पहले खेतों में केवल सोया, चने और गेंहूं की खेती होती थी परंतु अब यहां केले, अमरूद, लहसून, टमाटर, बैंगन की जैविक खेती हो रही है और यह तुरंत बिक भी जा रही है। शुरूआत में रामपाल को पानी की वजह से बहुत सी दिक्कतें आई, तो उन्होंने ड्रॉप विधि से सिंचाई शुरू की। अब रामपाल खेती के जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं। वह गुड़, गोबर, नीम और पत्तों की मदद से खुद ही खाद तैयार करते हैं और अपने खेतों में उसी का इस्तेमाल करत हैं। इससे ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं होते और ना ही जमीन को नुकसान पहुंचता है।
अब कर रहे मछली पालन की तैयारी
रासायनिक खाद के प्रयोग से जमीन को काफी नुकसान पहुंचता था, परंतु खुद के बनाए खाद से जमीन को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके जरिए अच्छी कमाई भी हो रही है। रामपाल पाटीदार (Rampal Patidar) अब मछली पालन की कर रहे हैं। तैयारी खेती में अच्छा मुनाफा कमाने के बाद वह अब तालाब खुदवाए हैं और मछली पालन की तैयारी कर रहे हैं। रामपाल इंडोनेशियन तकनीक (Indonesian technology) से मछली पालन कर रहे हैं। रामपाल को उम्मीद हैं कि इसके जरिए भी उन्हें अच्छा मुनाफा होगा
यू-ट्यूब से भी ले रहे मदद
३० साल के रामपाल का बचपन भले ही गांव में बीता हो लेकिन उन्हें खेती का कोई अनुभव नहीं था। बावजूद इसके, वे खेती कैसे कर रहे हैं? इस सवाल पर रामपाल बताते हैं, नौकरी छोड़कर गांव आने का फैसला इतना आसान नहीं है। व्यक्तिगत रूप से नौकरी में मुझे कोई दिक्कत भी नहीं थी। लेकिन परिवार और अपनी गांव की मिट्टी की खुशबू ने मुझे विदेश के लग्जरी जीवन के बीच चल रही नौकरी को छोड़ने पर विवश किया। पिछले २ महीनों में पलायन की त्रासदी जो हम लोगों ने देखी, उससे ऐसा लगा कि क्यों न अपने घरों में ही रोजगार के साधन ढूंढ़े जाएं।
रामपाल बताते हैं कि वे खेती के लिए आधुनिकता, यू-ट्यूब और अन्य माध्यमों से योजना बना रहे हैं। कहते हैं कि इसी साल से इसकी शुरुआत कर देंगे। फिलहाल उन्होंने संतरा, हरी मिर्ची, सब्जियां, अच्छी क्वालिटी के गेहूं, सोयाबीन की खेती शुरू कर दी है।
आमदनी नौकरी की तुलना में अच्छी
रामपाल ने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर कुछ एकड़ जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी है। उनके साथ दर्जनों किसान जुड़ गए हैं और सभी काफी पढ़े-लिखे युवा हैं। उनके लिए खेती में मेहनत और तकनीक के साथ जो आमदनी है, वह बाहर किसी भी नौकरी की तुलना में कहीं अच्छी है।