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आपने कभी खाया है पीला तरबूज! इंटरनेट पर चर्चा में है कर्नाटका का यह किसान

गर्मियाँ बस आने ही आने ही वाली हैं। ऐसे में आपने सर्दियों के भारी-भरकम कपड़े तो रख ही दिए होंगे और नए फैशन के कपड़े निकाल लिए होंगे। जिस तरह से आप हर रोज़ रंग बदल कर कपड़े पहनना पसंद करते हैं, अगर आपको उसी तरह से रंग-बिरंगे फल भी बाज़ार में मिले तो कैसा रहेगा। आप जब भी बाज़ार गए होंगे खीरा, ककड़ी और तरबूज हमेशा एक रंग में ही देखा होगा। खासतौर पर लाल तरबूज (Red Watermelon) तो देखकर आपके मुंह में पानी ज़रूर आया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं तरबूज भी अब नए रंग में बाज़ार में उतर चुका है।

डॉक्टर हमें गर्मियों में तरबूज खाने की सबसे ज़्यादा सलाह देते हैं। क्योंकि तरबूज में सबसे ज़्यादा पानी होता है जो कि हमारे शरीर को ठंडक पहुँचाता है। लेकिन आज हम आपको लाल की बजाय पीले रंग के तरबूज (Yellow colour Watermelon) के बारे में बताने जा रहा हैं। ये पीले रंग का तरबूज भी भारत के ही किसान उगा रहे हैं। आइए जानते हैं कहाँ उगाया जा रहा है पीला तरबूज और क्या हैं इसकी खूबियाँ।

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कौन हैं ये किसान

पीला तरबूज उगाने वाले किसान कर्नाटक के रहने वाले हैं। इनका नाम बासवराज पाटिल (Basavraj patil) है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक ख़बर के मुताबिक बासवराज के ग्रेजुएशन (Graducation) तक पढ़ाई की है। साथ ही वह आधुनिक ढंग से खेती करने में बड़ी दिलचस्पी रखते हैं। वह एक नए ज़माने के किसान हैं। इस तरह की खेती के लिए वह बेहद लंबें समय तक तैयारी करते हैं।

गुलबर्गा (Gulbarga) जिले के कोराल्ली गाँव के रहने वाले किसान बासवराज ने जब पीले तरबूज की फोटो सोशल मीडिया (Social Media) पर डाली, तो लोगों ने तारीफों के पुल बाँध दिए। लोगों ने अब तक केवल बाज़ार में लाल तरबूज ही देखे थे। पहली बार वह पीला तरबूज देख कर हैरान हो गए थे।

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लाल से ज़्यादा हैं पोषक तत्व

बासवराज पाटिल बताते हैं कि भले ही उनका तरबूज लाल रंग की जगह पीले रंग का है। लेकिन मिठास और पोषक तत्वों के मामले में लाल को पीछे छोड़ देता है। इसलिए लोग इसे निसंकोच होकर खरीद सकते हैं। बाहर से दिखने में इस पर भी मोटे आकार का हरे रंग का छिलका है। लेकिन अंदर से ये पीले रंग का तरबूज निकलता है। पाटिल बताते हैं कि पुराने तरबूज से हटकर इस नए तरबूज को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं। इसलिए ज़्यादा बिक्री से उनकी कमाई भी अच्छी हो रही है। पाटिल के मुताबिक जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी उनके तरबूज की बिक्री में भी गर्माहट आती जाएगी।

कितनी होती है कमाई

पाटिल बताते हैं कि पीले तरबूज से लाल तरबूज के मुकाबले कमाई बहुत ज़्यादा है। उन्होंने दो लाख रुपए लगाए थे, उससे अभी तक वह तीन लाख रुपए कमा चुके हैं। जबकि अभी तो केवल गर्मी की शुरुआत मात्र है। पाटिल का मानना है कि हमेशा किसानों को कुछ नया करते रहना चाहिए। खेती में होने वाले बदलाव से मिट्टी की उर्वरता शक्ति तो बनी ही रहती है। साथ ही किसानों को कुछ नया सीखने को भी मिलता है। नई फ़सल को बाज़ार में उतारने से कमाई भी ज़्यादा होती है। क्योंकि लोग इसे खरीदने में भी ज़्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं।

‘Big bazaar’ से किया भी है करार

बासवराज पाटिल बताते हैं कि उन्होंने बिग बाजार जो कि ऑनलाइन शाॅपिंग का एक प्लेटफार्म है उससे भी क़रार किया हुआ है। इससे दूर दराज रहने वाले लोग भी उनका ये तरबूज घर बैठे मंगवा सकते हैं। जबकि आसपास के बाजारों में पाटिल ख़ुद बेच आते हैं। जिससे ग्राहक सीधे उनसे खरीद लेते हैं। लगातार बढ़ते कारोबार से पाटिल बेहद खुश हैं।

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कैसा होना चाहिए तापमान

तरबूज की खेती गर्मी के मौसम में की जाती है। ऐसे में स्वाभाविक है इसके लिए अधिक तापमान और ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है। गुलबर्गा शहर में तरबूज की खेती के लिए अनुकूल तापमान पाया जाता है। साथ ही देश के जिन इलाकों में इस तरह का तापमान पाया जाता है वहाँ तरबूज की खेती बड़े आराम से की जा सकती है।

तरबूज की खेती के लिए हल्की बलुई मिट्टी चाहिए होती है। इसमें पानी खड़ा भी नहीं रहता और जड़ों का विकास आसानी से हो जाता है। जिन इलाकों में ज़्यादा पाला पड़ता है, वहाँ तरबूज की खेती कभी सफल नहीं हो पाती। क्योंकि तरबूज गर्मी में ही बढ़ता है। बिना गर्मी के इस खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

 

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