- मुख्य /
- समाचार /
- खेत खलिहान
खेती के लिए छोड़ दी सरकारी अध्यापक की नौकरी, आज काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर कमा रहे हैं करोड़ों
आमतौर पर अधिकतर इंसान की ख़्वाहिश उच्च शिक्षा ग्रहण कर गवर्मेन्ट जॉब या मोटी रकम वाली नौकरी कर खुशहाल जीवन व्यतीत करने की होऐ है, लेकिन जिन व्यक्तियों को अपने धरती मां से स्नेह हो, वह अपने देश की मिट्टी की तरफ आकर्षित हो ही जाते हैं। आज का यह लेख उपर्युक्त बातों से मिलता-जुलता है।
ऐसे में अगर कोई सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर खेती करने का मन बना लेता है तो शायद आप उसे इसके जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता ही कहेंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। आज हम आपको एक ऐसे टीचर की कहानी बताने जा रहे हैं। जो सरकारी स्कूल में अध्यापक जैसी शानदार नौकरी को सिर्फ़ इसलिए छोड़ दी क्योंकि वह खेती करना चाहता था। इसके बाद उसने खेती के काम में जो कर दिखाया वह वाकई जादू से कम नहीं है।
ये हैं गुरु प्रसाद पवार (Guru Prasad Pawar)
गुरू प्रसाद पवार (Guru Prasad Pawar) मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव बीजकवाड़ा में पैदा हुए थे। बचपन से ही वह पढाई में बेहद होनहार और मेहनती थे। इसलिए उन्होंने उच्च शिक्षा की तरफ़ क़दम बढ़ाया। अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद वह PTI का कोर्स पूरा किया। पढ़ाई में होनहार होने के चलते उन्हें साल 2004 में बतौर शिक्षक नौकरी मिल गई। उस समय उनका वेतन पांच हज़ार था।
बतौर शिक्षक तीन साल नौकरी करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि इतने कम पैसों में घर चलाना कठिन है। इसके साथ भी कुछ करना पडेगा ताकि घर चलता रहे। काफ़ी सोच विचार के बाद उन्होंने तय किया कि अब वह नौकरी के साथ-साथ खेती भी करेंगे। खेती के लिए उनके पास करीब 6 एकड़ ज़मीन भी थी। जो कि बेहद उपजाऊ थी। इसी फैसले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सबसे पहले खेत में लहसुन उगाया।
बैक से कर्ज़ लेकर शुरू की खेती
गुरू प्रसाद (Guru Prasad Pawar) ने तो नौकरी से ख़र्च ना चलने पर ही खेती शुरू की थी। ऐसे में उनके पास पैसों की किल्लत के चलते बैंक से लोन लेना पड़ा ताकि खेती के काम का और विस्तार किया जा सके। इसके लिए उन्होंने बैंक से डेढ़ लाख का लोन लिया। इन पैसों से उन्होंने लहसुन की बुआई की। लगभग पांच-छह महीने बाद लहसुन तैयार हो गया। इस फ़सल को उन्होंने बाज़ार में बेचकर दस लाख की कमाई की। इस सफलता के बाद उन्होंने बैंक से लिए लोन को उतारा और वर्ष 2007 में अध्यापक की नौकरी भी छोड़ने का भी फ़ैसला कर लिया। अब वह पूरी तरह से खेती करना चाहते थे। वर्तमान में उनके पास लगभग 50 एकड़ ज़मीन है। साथ ही उनका वार्षिक टर्नओवर 2 करोड़ के भी पार पहुँच गया है।
पानी की किल्लत बना परेशानी
गुरु इस बात से परिचित थे कि खेती में सिंचाई के लिए पानी की बहुत आवश्यकता होती है, लेकिन उनके यहाँ पानी की किल्लत के कारण बहुत सारी समस्याएँ खड़ी होती थी। इसके लिए उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत कर ऐसे फ़सल चक्र का निर्माण किया, जिसके द्वारा 1 साल में खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन अधिक मात्रा में हो सके। इन दोनों फसलों के बीच में उन्होंने कुछ ऐसे फ़सल भी लगायी, जिनके द्वारा मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और पैदावार भी अच्छी होती रहे। खेतों में सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन पद्धति को अपनाया, जिससे सिंचाई में मजदूरों की ज़रूरत भी नहीं पड़ती है। इतना ही नहीं अब वह कांट्रैक्ट फार्मिंग भी कर रहे हैं। जो कि एक बड़े पैमाने पर की जाती है।
ड्रिप इरीगेशन द्वारा करते हैं सिंचाई
गुरु इस बात से परिचित थे कि खेती में सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता है, लेकिन उनके यहां जल की किल्लत के कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हुई। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से वार्तालाप कर ऐसे फसल चक्र का निर्माण किया, जिसके द्वारा 1 वर्ष में खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन अधिक मात्रा में हो सके। इन दोनों फसलों के बीच में उन्होंने कुछ ऐसे फसल भी लगाये, जिनके द्वारा मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और पैदावार भी अच्छी होती हो। खेतों में सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन पद्धति को अपनाया, जिससे सिंचाई में मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ती है। इतना ही नहीं अब वह कांट्रेक्ट फार्मिंग भी कर रहे हैं।
पेप्सिको के साथ करते हैं कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
बीते वर्ष के उदाहरण के तौर पर उन्होंने यह जानकारी दी कि कंपनी ने लगभग 27.70 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज प्रदान किया था। अब रेटिंग तय हुई और 30 नवंबर तक लगभग 16.64 रुपए रेट तय हुआ। आगे यह कुछ घटा फिर 15-31 दिसम्बर तक इसका रेट 14.09 हुआ। आलू का भाव अधिक होने के कारण कंपनी ने उनसे 24 प्रति किलोग्राम हिसाब के दर से आलू खरीद लिए। वह पेप्सिको के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करते हैं फिर फसलों को उगाते हैं। प्रत्येक वर्ष वह नकदी फसलों के तौर पर उन्ही फसलों को उगाते हैं, जिनका डिमांड मार्केट में अधिक हो। वह आलू, गेंहू, सब्जी और फल आदि भी उगाते हैं।
कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के लाभ
गत वर्ष के उदाहरण के तौर पर उन्होंने यह जानकारी दी कि कंपनी ने लगभग 27.70 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज प्रदान किया था। अब रेटिंग तय हुई और 30 नवंबर तक लगभग 16.64 रुपए रेट तय हुआ। आगे यह कुछ घटा फिर 15- 31 दिसंबर तक इसका रेट 14.09 हुआ। आलू का भाव अधिक होने के कारण कंपनी ने उनसे 24 प्रति किलोग्राम हिसाब के दर से आलू खरीद लिए। वह पेप्सिको के साथ कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करते हैं फिर फसलों को उगाते हैं। प्रत्येक वर्ष वह नकदी फसलों के तौर पर उन्ही फसलों को उगाते हैं, जिनका डिमांड मार्केट में अधिक हो। वह आलू, गेंहू, सब्जी और फल आदि भी उगाते हैं।
मिल चुके हैं पुरस्कार
साल 2019 में ही आयोजित राज्य और जिले स्तर प्रगतिशील किसान सम्मान से भी गुरु प्रसाद (Guru Prasad Pawar) को सम्मानित किया गया था। गुरु प्रसाद इसके अलावा भी कई बार किसानों के साथ पुरस्कृत किए जाते रहते हैं। गुरु प्रसाद बताते हैं कि बतौर एक शिक्षक वह कभी इतना पैसा नहीं कमा सकते थे, जितना उन्हें खेती ने दिया है। गुरु प्रसाद ने अपनी खेती को फायदे का सौदा तो बनाया ही है साथ ही वह अन्य किसानों को भी जागरूक करते रहते हैं। अन्य किसानों को भी इसके गुण सीखाने के लिए “Kurmi World” गुरु प्रसाद पवार की प्रशंसा करता है। हम ऐसी आशा करते हैं गुरु प्रसाद देश के तमाम किसानों को इस तरह की खेती के लिए प्रेरित करते रहेंगे और आगे बढ़ते रहेंगे।
सम्पर्क सूत्र : किसान साथी यदि खेती किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें kurmiworld.com@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फ़ोन नम्बर +91 9918555530 पर कॉल करके या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं Kurmi World के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल ।