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बंजर जमीन से 15 तरह की आर्गेनिक फसलें उगाता है यह किसान, फायदा कई गुना अधिक
कृषि के लिए प्राय: कहा जाता है कि खेत अच्छा होना चाहिए , मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए लेकिन यदि काबिलियत हो तो पत्थर में भी सोना उगाया जा सकता है। यह महज एक लोकोक्ति हीं नहीं है बल्कि यह सच है और इसे सच कर दिखाने वाले का नाम है अर्जुन पाटीदार। इन्होंने पथरीली जमीन पर अपनी अथक मेहनत से जैविक खेती द्वारा 15 तरह के फसल उत्पादन का कारनामा कर दिखाया है। आईए जानते हैं उनके द्वारा किए जा रहे इस पूरे कार्य के बारे में…
पथरीली जमीन को किया जैविक खेती में तब्दील
हम यह जानते हैं कि जैविक खेती से उगाये गये फसल हमारे लिए कितने उपयोगी होते हैं। जहाँ पर और जैसी जमीन पर अर्जुन पाटीदार आज बेहतरीन खेती कर रहे हैं वहाँ पर अन्य किसान निश्चित हीं हार स्वीकार कर लौट आएँगे। अर्जुन पाटीदार मंदसौर जिले के सुवासरा के रहने वाले हैं। चूकि वहाँ की जमीन पथरीली थी तो उसमें कोई भी उपज करना संभव नहीं था। जमीन को सबसे पहले खेती लायक बनाना था जिसके लिए वहाँ मिट्टी की आवश्यकता थी। अर्जुन पाटीदार ने दूसरे जगहों से मिट्टी लाकर उन पथरीली जमीनों पर बिछा दी और खेती करने लायक जमीन तैयार किया। इसके बाद उन्होंने उस जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया। वहां की पथरीली जमीन को इन्होंने उपजाऊ बना दिया है जो आश्चर्यजनक है। वह अपने खेत में ‘जैविक खेती’ कर अन्य प्रकार के फसल उगा चुके हैं ।
गाय के गोबर से बनाते हैं उर्वरक
अर्जुन (Arjun) जो जैविक खेती करते हैं, उसकी लागत बहुत कम है। वह खेती के लिए उर्वरक गाय के गोबर से बनाते हैं। जो फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होता है अगर कोई फसल बर्बाद भी हो तो उन्हें ज़्यादा घाटा नहीं होता क्योंकि खेती के लिए सब कुछ वह ख़ुद तैयार करते हैं।
पूरी तरह करते हैं जैविक खेती
अर्जुन उन पथरीली जमीनों पर जैविक विधि से खेती करते हैं। उनका कहना है कि “मैं पूरी तरह से जैविक खेती करता हूँ जिससे लागत बहुत कम आता है। मिट्टी की उर्वराशक्ति बढाने के लिए वे गाय के गोबर से खाद बनाकर उसका इस्तेमाल करते हैं। जब फसलों में कीड़े आदि लगने लगते हैं तो गाय के मूत्र से कीटनाशक तैयार कर फसलों पर छिड़काव करते हैं। खुद के द्वारा जैविक खाद और कीटनाशक तैयार कर लेने से उन्हें बाजार से नहीं खरीदना पड़ता है और बाजार मूल्य से कम लागत में वह तैयार हो जाता है।
बारिश के पानी से करते हैं सिंचाई
अर्जुन पाटीदार जहाँ पर खेती कर रहे हैं वहाँ पानी की भी बहुत समस्या है। जलस्तर बहुत हीं नीचा है। नल-कुपो में पानी का स्तर 600-700 फुट नीचे है। अब खेती के लिए किसी ना किसी तरह तो पानी का इंतजाम करना हीं था इसलिए अर्जुन ने अपने खेत में हीं कुएँ खोद रखे हैं जिसमें वे बारिश का पानी इकट्ठा करते हैं और जब जहाँ जैसी सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है उसका उपयोग करते हैं। वे अपने खेतों में सिंचाई करने के लिए ड्रिप विधि का भी सहारा लेते हैं दरअसल इस विधि से सिंचाई करने से कम पानी में अधिक सिंचाई हो जाती है। इसमें पानी का बर्बादी बहुत कम होता है।
20 एकड़ जमीन का इस्तेमाल अन्य प्रकार के फल, फूल और सब्जियों को उगाने में करते हैं
अर्जुन (Arjun) मंदसौर (Mandsaur) के निवासी हैं। इन्होंने खेती शुरू करने के लिए बहुत मेहनत की है तब जाकर आज सफल हुए हैं। शुरुआती दौर मे इन्होंने दूसरे स्थानों से मिट्टी लाकर अपने खेतों में फसल उगाने के लिए उन मिट्टियों का उपयोग किया और अपने खेत को तैयार किया। अर्जुन 20 एकड़ जमीन में टमाटर, संतरा, पपीता, प्याज, सौंफ, गेंदा, लहसुन, उड़द, बेर और अन्य प्रकार के सब्जियां और फल उगाते हैं। साथ ही अपनी ज़रूरत की चीजें खुद उगाते हैं और दूसरे किसानों को उगाने की सलाह भी देते हैं।
खेतों के किनारे भी लगाते हैं फसल
अर्जुन (Arjun) मुख्य खेती के साथ उनके किनारे पर भी फसलों की बुवाई करते हैं जिससे एक समय में दोनों फसलों की देखभाल हो जाती है। अगर अर्जुन ने मुख्य फसल के तौर पर खेतों मे टमाटर की खेती की है तो वह खेतों के किनारे आम, अरहर, जैसे फसल लगाते हैं। इनका मानना है कि किसान के आमदनी का मुख्य स्त्रोत खेती ही है तो क्यों ना इस प्रकार की खेती करें की सलोभर आमदनी हो। जिससे आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक ठीक रहे और जीवन सुखमय व्यतीत हो सकें।
संतरे की खेती के साथ उड़द की बुवाई
अर्जुन अपने खेत में संतरे के पेड़ के साथ उड़द की बुवाई करते हैं। ताकि अगर संतरों से नुकसान हो तो उड़द से अच्छी कमाई हो सके। अर्जुन सभी किसानों के लिए प्रेरणा हैं। Arjun ने जिस तरह बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया है वह सराहनीय है।
कई फसलों की कर रहे हैं खेती
अर्जुन पाटीदार पथरीली भूमि होने के बावजूद अपनी सूझबूझ से उस पर करीब 15 प्रकार के फसल उगा रहे हैं। वे 20 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं जिस पर वे संतरा, टमाटर, पपीता, सौंफ, बेर, प्याज, लहसुन, गेहूं, उड़द, गेंदा और कई तरह की फसलें उगाते हैं। वे एक साथ कई फसलों की खेती करते हैं। वे खेतों में मुख्य फसल के साथ-साथ खेत के किनारे और मेड़ों पर दूसरी फसलों की बुवाई कर देते हैं। इसके पीछे का वे तर्क देते हैं कि अगर खेत में लगे फसल का किसी कारणवश नुकसान हो जाता है तो खेत किनारे पर लगाया गया फसल से उस नुकसान की क्षतिपूर्ति हो जाती है। टमाटर लगे खेतों के किनारे पर वे गेंदा, अरहर, सौंफ और आम लगा देते हैं। कई फसलों को लगाने से आमदनी सालों भर होती रहती है।
अर्जुन पाटीदार ने जिस तरह पथरीली भूमि पर करीब 15 फसलों की खेती कर अपने हुनर का परिचय दिया वह अन्य लोगों के लिए बृहद प्रेरणा है।
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