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जिस राजा ने किया था रियासतों के विलय का विरोध, उसी ने सरदार पटेल को सुझाया था राजस्थान नाम

राजस्थान का मतलब राजाओं का स्थान होता है। इसका तात्पर्य तत्कालीन सामाजिक परिवेश से था क्योंकि जिन रियासतों का विलय किया गया था वे सभी राजपूत, गुर्जर, मौर्य और जाट राजाओं के अधीन रह चुके थे।

 

आज राजस्थान दिवस है। 69 साल पहले आज ही के दिन यानी 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ बनाया गया था। जिसे बाद में राजस्थान कहा गया। हालांकि, इनके एकीकरण की प्रक्रिया 1 नवंबर, 1956 को पूरी हुई थी। इस एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका अहम थी। राजस्थान का मतलब राजाओं का स्थान होता है। इसका तात्पर्य तत्कालीन सामाजिक परिवेश से था क्योंकि जिन रियासतों का विलय किया गया था वे सभी राजपूत, गुर्जर, मौर्य और जाट राजाओं के अधीन रह चुके थे। राजस्थान दिवस के मौके पर राज्यभर में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 28 मार्च से 30 मार्च तक तीन दिवसीय कार्यक्रमों के तहत राज्यभर में संस्कृति, कला. पर्यटन की शानदार झांकियां देखने को मिल रही है। बॉलीवुड के कई कलाकार भी इन समारोहों में शामिल होकर इसकी शान बढ़ा रहे हैं। मुख्य समारोह जयपुर के जेडीए पोलो ग्राउंड में आयोजित किया गया है।

बता दें कि राजस्थान का गठन सात चरणों में हुआ है। जब बात रियासतों के विलय की होने लगी तो कई राजा-रजवाड़ों ने इसका विरोध किया था। तब देश के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल रियासतों के विलय का कामकाज देख रहे थे। उदयपुर (मेवाड़) के राजा महाराणा भूपल सिंह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने विलय पर बात करने के लिए दिल्ली जाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सरदार पटेल को ही उदयपुर आना होगा। बाद में सरदार पटेल कई कांग्रेसी नेताओं के साथ उदयपुर पहुंचे और विलय पर महाराणा भूपल सिंह से बात की थी। इस बैठक में मोहन लाल सुखाड़िया, माणिक्य लाल वर्मा, गोकुल लाल असावा, भीरे लाल बाया समेत कई नेता मौजूद थे। उस वक्त यह राज्य राजपूताना कहलाता था। सरदार पटेल ने अंग्रेजों द्वारा दिए गए इस नाम (राजपुताना) से छेड़छाड़ नहीं करने का भरोसा राजपूत राजाओं को दिया था लेकिन उस बैठक में ही महाराणा भूपल सिंह ने राजपूताना की जगह राजस्थान नाम प्रस्तावित किया था।

महाराणा का तर्क था कि राजपूताना से छोटी रियासत का बोध होता है। साथ ही सिर्फ राजपूतों के आश्रय स्थल से इसका तात्पर्य निकलता है जबकि राज्य में 36 कौम (जातियां और धर्म) के लोग रहते हैं। इसलिए इसे राजस्थान कहा जाय। उस समय बैंक ऑफ राजस्थान का संचालन उदयपुर राज द्वारा होता था। बाद में इसका नाम बदलकर आईसीआईसीआई कर दिया गया। जब सात चरणों में रियासतों का विलय हो गया तब जयपुर में राजस्थान स्थापना समारोह मनाया गया था। सवाई मान सिंह को गवर्नर बनाया गया था। इस समारोह में शामिल होने सरदार पटेल दिल्ली से उड़कर जयपुर आए थे।