ठोकिया उर्फ अंबिका पटेल जीवन की पूरी कहानी

ठोकिया का जन्म 1972 में, चित्रकूट जिले के लोखरिया पुरवा में हुआ था। बचपन में ही बुरी संगत में पडने के कारण गाँव में ही छोटे-छोटे अपराध करने लगा। उसने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की थी। तभी एक घटना उसके पूरे जीवन को मोड़ कर रख देती है।

बहन के साथ रेप की घटना

लोग बताते हैं कि उसकी बहन के साथ गांव के ही एक व्यक्ति ने बलात्कार किया था। बहन के पेट में गर्भ ठहरने के कारण ठोकिया ने गांव में पंचायत बुलाई। और उस लड़के को शादी करने के लिए कहा। लेकिन लड़के ने शादी करने से साफ तौर पर मना कर दिया। इस कारण से उसने उस लड़के की हत्या कर दी और डकैत बन गया।

ओमनाथ के परिवार से था मृत युवक

ठोकिया ने जिस लडके की हत्या की थी वह कुख्यात ड़ाकू ओमनाथ के परिवार से था। उसके बाद ठोकियां उस लडके के घर वालों को मारने की तलाश में था, तभी एक दिन डाकू ओमनाथ ने ठोकिया को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि अगर दम है तो मुझसे टकराओ घर वालों से नहीं। तब यहीं से दो परिवारों की लडाई दो लोगों तक गई। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये।

ोकियां ने थामा ददुआ का दामन

इसके बाद ठोकियां ददुआ पटेल के गैंग में शामिल हो गया, ठोकियां ने दूसरी हत्या बांदा जिले के थाना तिंदवारी क्षेत्र के गांव फिरोजपुर में कलुआ निषाद की थी, दरअसल कलुआ निषाद पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करता था। लोगों का कहना है एक बार ठोकियां दशहरे के दिन अपने घर आया था और कलुआ ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी थी, लेकिन पुलिस के घेराबंदी के बावजूद भी वह पुलिस के हत्थे नहीं लगा और भागने में कामयाब हो गया। और उसके 3 दिन के बाद ही उसने दिनदहाड़े कलुआ की हत्या कर दी।

ठोकियां ने किया ओमनाथ के ऊपर हमला

इसके बाद ठोकियां ने कई बड़ी बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। लेकिन उसके दिमाग में ओमनाथ की धमकी किसी नासूर की तरह काम कर रही थी। वह लगातार अपने मुखबिरों से ओंम नाथ के बारे में जानकारी रखता था। 16 जुलाई 2003 को ठोकियां को जानकारी मिली कि ओमनाथ आज की रात अपने घर में रुकने वाला है। उसी रात को ठोकियां अपने 40 आदमियों के साथ ओमनाथ के घर धावा बोल देता है, और गहरी नींद में सो रहे लोग कुछ समझ पाते, तब तक ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी। डकैतों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए कई घरों के दरवाजे बंद कर आग लगा दी थी।

घटना में ओमनाथ के 6 परिजनों की मौंत

इस वारदात में ओमनाथ के परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी और बांकि परिवार आग में पूरी तरह झुलस गया था। लेकिन उस हमले से पहले ओमनाथ वहां से भागने में कामयाब हो गया था। ठोकियां के अपराधों के गुनाह लिखते लिखते पुलिस के कई रजिस्टर फुल हो चुके थे। अपहरण हत्या लूट डकैती जैसे उसके ऊपर 80 से ज्यादा केस दर्ज थे। अब तक ठोकियां नाम से लोगों के अंदर खौफ पैदा हो चुका था। ठोकियां के निशाने पर सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी और ऱसूखदार लोग रहते थे, यकीन मानों लोग सूरज ढलने के बाद घरों से बाहर निकलना नहीं चाहते थे।

ठोकियां के बुरे दिनों की शुरुआत

पुलिस लगातार ठोकियां की तलाश में चक्कर काटती रहती है, इस दौरान ठोकियां रोज की सुर्खियों में छाया रहता था। फिर सूबे की सरकार बदल जाती है। और मायावती मुख्यमंत्री बनती हैं। वहीं से ठोकियां के लिए बुरे दिन शुरु हो जाते हैं। पुलिस ने तत्काल रूप से गिरोह को ढ़ेर करने के लिए एक एसटीएफ टीम का निर्माण किया।

एसटीएफ हत्याकांड

22 जुलाई 2007 को STF की टीम को जानकारी मिली कि ठोकियां नरैनी क्षेत्र के कोलुहा जंगल में है। STF तत्काल रूप से कोलुहा जंगल के लिए रवाना हो जाती है. लेकिन एसटीएफ को नहीं पता था कि उनका दाव उन्ही पर भारी पड जाएगा। बारिश समय था। जंगल पहुंचने तक stf को शाम हो चुकी थी जंगल से महज 1 किमी के पहले एसटीएफ की गाडी एक दलदल बुरी तरह फंस जाती है।

ठोकियां के चंगुल में पुलिस के 16 जवान

इस घटना से एसटीएफ के जवान बुरी तरह घबरा जाते हैं, तब तक रात बढ़ती जाती है और रात होने के कारण जवानों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कि वह आगे क्या करें. फिर एसटीएफ ने नजदीकी थाना फतेहगंज को संपर्क किया, लेकिन किसी कारण वश वहां का फोन नहीं लगा, देर रात सुनसान जंगल में गाडी की आवाज, दूर दूर तक सुनाई दे रही थी, फिर ठोकियां को इस बात की भनक लग जाती है कि पुलिस की गाडी रास्ते के दलदल में फंस गई है। इसके बाद ठोकियां ने पुलिस वालों को चारो तरफ से घेर लिया। पुलिस के 16 जवान 60 डाकुओं के चंगुल में फस चुके थे।

दुर्भाग्यवश कोई भी पुलिसकर्मी उस गाडी से नीचे नहीं उतरा था, क्योंकि उन्हे लग रहा था कि उनकी गाडी किसी बडें दलदल में फंस चुकी है। अब ठोकियां के लिए यह काम आसान हो गया था, फिर डाकूओं ने चारो तरफ से गोली बारी शुरु कर दी। जब तक पुलिस वालों को कुछ समझ आता तब तक गिरोह की गोलियां 6 कमांडो की हत्या कर चुकी थी। रात को हुई गोली बारी ने पूरे क्षेत्र के लोगों को डरा दिया कि आखिर हुआ क्या। फिर ठोकियां ने पूरे पुलिस वालों को मरा समझ कर वहां से रफू चक्कर हो जाता है।

यूपी सरकार की किरकिरी

पुलिस के 6 जवानों की हत्या के बाद यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई मायावती ने पाठा के जंगलों से ठोकियां के खात्मे के लिए तत्कालीन पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव कुंवर फतेह बहादुर को आदेश दिया, वहीं अपने जवानों की हत्या से बौखलाए एसटीएफ की टीम भी जंगल में उतर गई.

एसटीएफ ठोकियां की मुठभेड़

फिर एसटीएफ को जानकारी मिली की ठोकियां अपने 40 सदस्यीय गैंग के साथ चित्रकूट के कर्वी इलाके में किसी वारदात को अंजाम देने वाला है. एसटीएफ की टीम ने बिना किसी देरी के ठोकियां को सिलखोरी के जंगल में घेर लिया, शाम 7:00 बजे तक दोनो तरफ से गोलीबारी शुरु हो गई। पुलिस और ठोकियां के गैंग की भिड़त 7 घंटे तक लगातार चली। यह मुठभेड़ रात 2:30 बजे रुकी।

वहीं कुछ दूरी पर ठोकियां की लाश एसटीएफ की टीम को मिली. हांलाकि कुछ गांव वालों का मानना है कि ठोकियां को पुलिस ने नहीं गोली मारी बल्कि उसीके गैंग में शामिल ज्ञान सिंह ने उसको गोली मारकर वहां से फरार हो गया फिर पुलिस वालों को इसकी सूचना ग्रामीणों ने दी।