पटेल समाज पर अत्याचार के खिलाफ सरदार सेना का ऐलान: अब ईंट का जवाब पत्थर से

सरदार सेना की बुलंद आवाज़: सरदार सेना की समीक्षा बैठक में उठी सामाजिक न्याय की नई लहर
वाराणसी, 15 जून 2025 : उत्तर प्रदेश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में आज एक नया अध्याय जुड़ा, जब सरदार सेना, जो कि कुर्मी समाज की सामाजिक चेतना और अधिकारों की रक्षक मानी जाती है, ने वाराणसी स्थित श्री सरदार नगर शिवपुर कार्यालय में अपनी एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की। यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की पुनः घोषणा थी।
सरदार सेना: अब चुप नहीं बैठेगा
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर. एस. पटेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा —
“पटेलों पर हो रहे अन्याय, हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ अब ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। यह लड़ाई अधिकारों की है, अस्तित्व की है और अब कोई पीछे नहीं हटेगा।”
डॉ. पटेल का यह वक्तव्य न सिर्फ कुर्मी समाज के आत्मसम्मान का प्रतीक है, बल्कि एक चेतावनी भी है उन ताकतों के लिए जो जातिगत अन्याय और दमन की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।
10 सूत्रीय रणनीति: संगठित समाज, सशक्त समाज
बैठक में लिए गए 10 प्रमुख निर्णयों में प्रदेश कोर कमेटी का गठन, कार्यकारिणी का विस्तार, अनुशासन कमेटी का निर्माण और सोशल मीडिया के ज़रिए जनपद स्तर पर जागरूकता और प्रशिक्षण का निर्णय प्रमुख रहे। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरदार सेना अब केवल सड़क की लड़ाई नहीं, बल्कि डिजिटल मोर्चे पर भी समाज को सशक्त बनाने के लिए तैयार है।
कुर्मी समाज की लड़ाई अब संगठित और रणनीतिक होगी
बैठक का संचालन कर रहे प्रदेश संगठन प्रभारी एडवोकेट रामलाल पटेल ने कहा:
“बहुत हुआ बिखराव का दौर, अब संगठित संघर्ष का समय है। सरदार सेना शीघ्र ही उत्तर प्रदेश में एक प्रशिक्षित, अनुशासित और संवैधानिक ढांचे में कार्य करने वाला संगठन बनेगा जो पूरे कुर्मी समाज की आवाज़ बनेगा।”
कुर्मी समाज की उम्मीदें, सरदार सेना की ज़िम्मेदारी
आज जब समाज में कुर्मी समुदाय को हाशिए पर रखने की साजिशें चल रही हैं — चाहे वो राजनीतिक प्रतिनिधित्व हो, आरक्षण के लाभ की बात हो या सरकारी सेवाओं में भागीदारी — ऐसे में सरदार सेना जैसी संगठन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।
इस समीक्षा बैठक में यह संकल्प भी लिया गया कि हर पंचायत, हर गांव और हर जिले में संगठन की मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी ताकि कुर्मी समाज की आवाज़ सत्ता के गलियारों तक पहुंचे।
निष्कर्ष
यह समीक्षा बैठक सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कुर्मी समाज के पुनर्जागरण की घोषणा है। सरदार सेना का यह कदम बताता है कि अब समाज मौन नहीं रहेगा, अन्याय के विरुद्ध खुलकर लड़ेगा और अपने अधिकारों के लिए हर मंच पर संगठित संघर्ष करेगा।
अब वक्त आ गया है — कुर्मी समाज बोलेगा, लड़ेगा और विजयी होगा।
"जय सरदार, जय शिवा जी !"
(संपादक)