Smita Patil: मिर्च मसाला, बाज़ार जैसी 10 उम्दा फ़िल्में जिन्हें देख कोई भी स्मिता का फ़ैन हो जाएगा
स्मिता पाटिल, एक ऐसी कलाकार जो बॉलीवुड में ताज़ी हवा की तरह आईं, कई सकारात्मक और प्रगतिशील बदलाव किए और वक़्त से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया. सौंदर्य के हर तय पैमाने को खुली चुनौती दी स्मिता पाटिल ने. फ़िल्मी दुनिया में अभिनेत्रियों के लिए एक नए युग की शुरुआत की थी स्मिता ने.
स्मिता ने हिन्दी फ़िल्मों के अलावा बंगाली, गुजराती, मराठी, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं की फ़िल्मों में भी काम किया.
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- राजनैतिक परिवार से थीं स्मिता
- भूमिका (1977)
- चक्र, 1981
- बाज़ार, 1982
- अर्ध सत्य, 1983
- मंडी, 1983
- आज की आवाज़, 1984
- मिर्च मसाला, 1985
- ग़ुलामी, 1985
- आख़िर क्यों?, 1985
- वारिस, 1988
राजनैतिक परिवार से थीं स्मिता
17 अक्टूबर, 1955 को स्मिता का जन्म पुणे में हुआ, उनका परिवार राजनीति में सक्रिय था. बचपन में ही स्मिता को अभिनय, थियेटर और अदाकारी से इश्क़ हो गया था. फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखने से पहले उन्होंने थियेटर की दुनिया में बहुत नाम कमाया.
1975 में आई श्याम बेनेगल(Shyam Benegal) की 'चरनदास चोर' के ज़रिए उन्होंने उस ज़माने की शीर्ष अभिनेत्रियों को तगड़ा Competition दिया. आज नज़र डालते हैं उनकी 10 फ़िल्मों पर, जिन्हें ग़ैर फ़िल्मी फ़ैन्स को भी एक बार ज़रूर देखना चाहिए-
1. भूमिका (1977)
श्याम बेनेगल निर्देशित ये फ़िल्म 1940 के दशक की मराठी अभिनेत्री हंसा वाडकर (Hansa Wadkar) की ज़िन्दगी पर आधारित है. फ़िल्म को भारतीय दर्शकों की तालियां तो नहीं मिली लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे बेहद पंसद किया गया. फ़िल्म को 1978 के Carthage Film Festival और Chicago Film Festival में भी दिखाया गया. फ़िल्म को दो नेशनल अवॉर्ड और फ़िल्मफ़ेयर का बेस्ट मूवी अवॉर्ड दिया गया.
2. चक्र, 1981
रबीन्द्र धर्मराज निर्देशित इस फ़िल्म में स्मिता के साथ नसीरुद्दीन शाह और कुलभूषण खरबंदा नज़र आए. फ़िल्म के लिए स्मिता पाटिल को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड दिया गया. ये फ़िल्म Locaro International Film Festival में भी दिखाई गई थी.
3. बाज़ार, 1982
सागर सरहदी निर्देशित इस फ़िल्म में एक बेहद गंभीर मुद्दे को उठाया गया- दुल्हन की ख़रीद फ़रोख़्त के मुद्दे को. हैदराबाद समेत कई शहरों में ये एक व्यापक समस्या है. फ़िल्म में स्मिता के साथ नसीरुद्दीन शाह, फ़ारुख़ शेख़ और सुप्रिया पाठक नज़र आए.
4. अर्ध सत्य, 1983
गोविंद निहलानी निर्देशित ये फ़िल्म, एस.डी.पनवलकर की कहानी सूर्या पर आधारित है. ये बॉलीवुड की बेहतरीन जासूसी फ़िल्मों में शुमार है. इस फ़िल्म ने कई अवॉर्ड्स जीते और भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर भी साबित हुई.
5. मंडी, 1983
श्याम बेनेगल निर्देशित ये फ़िल्म, ग़ुलाम अब्बास की उर्दू लघु कथा आनंदी पर आधारित है. ये फ़िल्म शहर की एक कोठी की कहानी है. भारतीय राजनीति पर कटाक्ष करती इस फ़िल्म को कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में भी प्रदर्शित किया गया था.
6. आज की आवाज़, 1984
बी.आर.चोपड़ा की प्रोडक्शन और रवि चोपड़ा का निर्देशन. 1982 में आई हॉलीवुड फ़िल्म Death Wish II पर आधारित इस फ़िल्म में स्मिता ने पब्लिक प्रोसीक्यूटर की भूमिका निभाई.
7. मिर्च मसाला, 1985
केतन मेहता की मिर्च मसाला देखने और समझने के लिए आपको फ़िल्म को वक़्त देना होगा. स्मिता पाटिल का अभिनय इसमें इतना असाधारण था कि उनका नाम Forbes 25 की 2013 में आई Greatest Acting Performances of Indian Cinema में शामिल किया गया.
8. ग़ुलामी, 1985
ओ.पी.दत्त निर्देशित इस फ़िल्म में स्मिता के साथ कई बड़े कलाकार नज़र आए थे. फ़िल्म का नैरेशन अमिताभ बच्चन ने किया और फ़िल्म की शूटिंग फ़तेहपुर, राजस्थान में हुई.
9. आख़िर क्यों?, 1985
दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है गाना इसी फ़िल्म का है और स्मिता पर ही फ़िल्माया गया था.
10. वारिस, 1988
स्मिता पाटिल की मौत के बाद रिलीज़ हुई थी ये फ़िल्म. पंजाबी उपन्यास 'कारा' पर आधारित थी ये फ़िल्म.
प्रतीक बब्बर को जन्म देने के बाद 13 दिसंबर, 1986 को स्मिता की पोस्ट-प्रेगनेंसी कॉम्प्लीकेशन्स की वजह से मौत हो गई. वारिस समेत स्मिता की 10 फ़िल्में उनकी मृत्यु के बाद रिलीज़ की गई.
अदाकारी के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्रीस से सम्मानित किया. कहते हैं स्मिता पाटिल की आख़िरी ख़्वाहिश थी कि उनका अच्छे से मेकअप किया जाए. मेकअप आर्टिस्ट घर आया था और स्मिता को दुल्हन की तरह सजाक अलविदा कहा गया था.