यदुवंशी राम शिक्षा जगत और पर्यावरण के लिए बने प्रेरणास्रोत

शहर के दक्षिण ग्रामीण इलाके में बनारस से मीरजापुर तक के सैकड़ो गांव में शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने वाले और अनुशासन के साथ ही पर्यावरण की मिशाल पेश करने वाले यदुवंशी राम कद के छोटे लेकिन काम बहुत बड़े किए। इन्होंने अपने जीवन काल में चार विद्यालय की स्थापना की जिसमें हर वर्ष सैकड़ों गांव के करीब 12 हजार बच्चे पढ़ने आते हैं और शिक्षा के साथ ही ये सभी विद्यालय अनुशासन और पर्यावरण के लिए भी बहुत प्रसिद्ध रहा है।
80 वर्ष की उम्र में भी लेते हैं क्लास स्वास्थ और उम्र ढलती जा रही है लेकिन शिक्षा से प्रेम का परिणाम है कि रिटायरमेंट के 20 साल बीत जाने और 80 वर्ष की अवस्था में आज भी कभी कभी हिंदी और मनोविज्ञान की क्लास लेते है। पर्यावरण के लिए सैकड़ों पौधे हर वर्ष लगाते और हर कैंपस में गुलाब बाग की है पहचान। बीएचयू में पढ़ाई के दौरान इनको कैंपस में लगे पौधे काफी आकर्षित करते थे जिसके कारण इन्होंने इन सभी चारो कॉलेजों में पर्यावरण के लिए बाग बगीचे की अलग पहचान बनाई है और हर वर्ष सैकड़ो नए पौधे लगाते रहे जो आज भी पहचान है।
पेड़ पौधों के साथ ही यदुवंशी राम को गुलाब से काफी प्रेम था इसलिए हर जगह गुलाब बाग भी आर्कषण का केन्द्र है और बच्चों में भी इसका प्रेम बना रहे इसलिए खुद बगीचे में काम करते जिससे छात्र छात्राएं भी काफी प्रेरित रहते थे इनसभी चीजों के साथ ही अनुशासन के लिए काफी शख्स रहे जिसकी पूरे क्षेत्र में अलग पहचान थी। यदुवंशी राम का जीवन भले ही गृहस्थ रहा लेकिन इनकी 50 वर्ष का ३० प्रतिशत समय स्कूल के विकास या कैम्पस में ही बीतता था। आदिवनगर में आवास और पैतृक गांव कंठीपुर में अपने घर से कुछ दूरी पर एक अलग कुटिया बना रखे थे जहां आसपास हरियाली और गुलाब के ही बगीचे थे।'
सफल हो चुका है प्रयोग
बीएचयू के छात्र रहे यदुवंशी राम मालवीय जी के जीवन से काफी प्रभावित रहे और सर्वप्रथम इन्होंने 1967 में बव्हांव में महामना मालवीय इंटर कालेज की स्थापना की। यह कालेज क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुआ। उस समय आसपास कॉलेज न होने के कारण मीरजापुर तक के बच्चों पढ़ने आते थे और इस विद्यालय की आदर्श बनाए। इसके बाद अपने पैतृक गांव के पास बढ़नी में सरदार पटेल इंटर कालेज की स्थापना 1972 में किए और दोनों विद्यालयों की देखरेख खुद करते रहे। 1997 में रिटायरमेंट के बाद बच्छांव में ही लौह पुरुष सरदार पटेल महाविद्यालय की स्थापना की और इसके बाद 2007 में इन्होंने बढ़नी में सरदार पटेले महाविद्यालय की स्थापना की। 1967 से 1997 तक ये प्राचार्य के पद पर रहे और सबसे खास बात रही कि इन्होंने आसपास के गांवों में ही नहीं बल्कि पड़ोसी जिलों से भी विद्यालय के विकास के लिए घूम घूम कर चंदा (दान) लिया। अपनी कमाई का ज्यादा हिस्सा भी स्कूलों के विकास में ही लगाए।
84 की उम्र में भी नियमित जाते हैं कालेज
शिक्षा से प्रेम के कारण यदुवंशी राम 84 वर्ष की अवस्था में भी नियमित कालेज जातें हैं। स्वास्थ्य और ढलती उम्र भी शिक्षा के प्रेम में रुकावट नहीं बनती है। रिटायरमेंट के करीब 24 साल बीत जाने के बाद भी कभी कभी हिंदी और मनोविज्ञान की क्लास लेते हैं। यदुवंशी राम ने रिटायरमेंट से पहले छात्रों और शिक्षकों की मदद से प्रभा नामक पत्रिका भी प्रकाशित कराए जिसमें विद्यालय के मेधावी छात्र छात्राओं के लेख ,कविता और उनकी कला भी प्रकाशित हुई थी।इनके इकलौते बेटे शैलेन्द्र और बहू मंजू भी शिक्षक हैं । मंजू कान्वेंट विद्यालय चलाती हैं।
अनुशासन और शिक्षा के लिए नजीर बना विद्यालय
बीएचयू के छात्र रहे यदुवंशी राम पंडित मदन मोहन मालवीय जी के जीवन से काफी प्रभावित रहे और सर्वप्रथम इन्होंने 1967 में बच्छांव स्थित महामना मालवीय इंटर कालेज की स्थापना की। यह कालेज क्षेत्र के लिए वरदान सावित हुआ । उस समय आसपास कॉलेज न होने के कारण मीरजापुर तक के बच्चे पढ़ने आते थे।
इस विद्यालय का अनुशासन क्षेत्र में आदर्श के रूप में बना। इसके बाद अपने पैतृक गांव के पास बढैनी में सरदार पटेल इंटर कालेज की स्थापना 1972 में किए और दोनों विद्यालयों की देखरेख खुद करते रहे । 1997 में रिटायरमेंट के बाद लौह पुरूष सरदार पटेल महाविद्यालय बच्छांव की स्थापना की और इसके बाद 2007 में इन्होंने बढैनी में सरदार पटेल महाविद्यालय की स्थापना की । 1967 से 1997 तक ये प्राचार्य के पद पर रहे और सबसे खास बात रही कि इन्होंने आसपास के गांवों' में ही नही बल्कि पड़ोसी जिलों से भी विद्यालय के विकास के लिए घूम घूम कर चंदा (दान) के अलावा अपनी कमाई का ज्यादा हिस्सा स्कूलों के विकास में ही लगाए।
हरियाली के साथ हर विद्यालय में गुलाब बाग है पहचान
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान इनको परिसर में लगे पौधे काफी आकर्षित करते थे जिसके कारण इन्होंने इन सभी चारो कॉलेजों में पर्यावरण के लिए बाग बगीचे की अलग पहचान बनाई है और हर वर्ष सैकड़ो नए पौधे लगाते रहे जो आज छाया और फल दे रहे हैं।
पेड़ पौधों की हरियाली के साथ ही यदुवंशी राम को गुलाब से काफी प्रेम था इसलिए हर जगह गुलाब बाग भी आकर्षण का केन्द्र है और बच्चों में भी इसका प्रेम बना रहे इसलिए खुद बगीचे में काम करते जिससे छात्र छात्राएं भी काफी प्रेरित रहते थे। इनसभी चीजों के साथ ही अनुशासन के लिए काफी शख्स रहे जिसकी पूरे क्षेत्र में विद्यालय और खुद की अलग पहचान थी। सादगी भरा जीवन जीने वाले यदुवंशी राम घर के पास ही कुटिया बना रखे थे जहां आसपास हरियाली और गुलाब के ही बगीचे थे ।