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दिव्यांग होने के बावजूद भी नहीं माने हार, ! नारियल के बेकार खोल से प्रोडक्ट बनाकर बने आत्मनिर्भर

अक्सर हम नारियल का इस्तेमाल मंदिर में भगवान को चढ़ाने में करते हैं। आपने गौर किया होगा मंदिरों में नारियल चढ़ाने के बाद उसके शेल को बेकार समझ के फेंक दिया जाता है। रोजाना हम ऐसे बहुत सारी चीजों को वेस्ट समझ कर फेंक देते हैं क्योंकि हमें उस सामान का दूसरे तरीके से इस्तेमाल कैसे करें, इसके बारें में जानकारी नहीं होती है। ऐसा करने से कचड़े का ढेर भी इकट्ठा होता है जो हमारे पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है।
प्रतिभा कहीं भी और किसी में भी पैदा हो सकती है, यह कर दिखाया है ओडिशा (Odisha) के बलांगीर जिला स्थित पुइंतला (Puintala) गांव के 29 वर्षीय सब्यसाची पटेल (Sabyasachi Patel) ने। जी हां, शरीर से दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने अपने आप को किसी और पर निर्भर नहीं होने दिया और नारियल के खोल से प्रोडक्ट्स(Coconut Shell Product) बनाकर उसको ऑनलाइन बेचना शुरू किया और आज अच्छी कमाई कर रहे हैं।
बता दें कि, इनको (Sabyasachi Patel) बचपन से ही रीढ़ की हड्डी में दिक्क्त है, जिस कारण वे ज्यादा देर तक खड़े नहीं हो सकते है और न हीं अच्छे से चल पाते हैं। फिर भी खुद भी मजबूत बनाकर नारियल की खोल से कप, गिलास, रथ सहित 15 तरह के सजावटी सामान बनाते हैं। जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है। तो आइए जानते हैं उस शख्स के बारें में-
कौन है वह शख्स ?
आज की हमारी यह कहानी ओड़िशा (Odisha) के बलांगीर जिले के पुइंतला गांव के रहनेवाले सब्यसाची पटेल (Sabyasachi Patel) की है, जो किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। शुरु से ही आर्ट और क्राफ्ट के प्रति काफी शौकीन थे या यूं कहें कि वे आर्ट से प्यार करते हैं। लेकिन भागदौड़ भरी दिनचर्या में किसी को फुर्सत नहीं मिलती कि वे अपने शौक को पूरा कर सकें।
हालांकि, कोरोना महामारी वैसे तो दुनिया के लिए तबाही लेकर आया था, लेकिन इसमे हुए लॉकडाउन कईयों के लिए शाप तो बहुतों के लिए वरदान साबित हुआ। सब्यसाची ने भी कोरोना बन्दी का फायदा उठाया और उन्हें अपने अंदर की प्रतिभा को तराशने का मौका मिला।
Sabyasachi Patel With His Products
बचपन से आर्ट और क्रॉफ्ट का रहा शौक
सब्यसाची (Sabyasachi Patel) ने बताया कि, बचपन से हीं उन्हे आर्ट और क्रॉफ्ट का शौक रहा है। देश में जब कोरोना के दौरान लॉकडाउन लगीं तो उन्होंने यूट्यूब के जरिए नारियल की खोल(Coconut Shell Product) से सजावटी सामान बनाना सीखा। और इसी शौक को उन्होंने बिजनेस का रूप दे दिया।
उन्होंने (Sabyasachi Patel) आगे बताया कि “जब मैने अपने द्वारा बनाए गए वस्तुओं को फेसबुक पर अपलोड किया तो लोगों के तरफ से अच्छी-खासी प्रतिक्रियाएं आने लगी और ऑर्डर आने भी शुरू हो गए।”
हुनर के धनी हैं सब्यसाची
सब्यसाची के पिता किसान हैं और खुद की एक एकड़ जमीन में खेती करते हैं। उनकी माँ गृहिणी हैं और एक छोटा भाई भी है। उन्होंने विज्ञान विषय से बारहवीं पास करने के बाद, साल 2010 में कोलकाता SIHM (स्टेट इंस्टिट्यूट होटल मैनेजमेंट) से फ़ूड प्रोडक्शनिंग में डिप्लोमा किया। कोर्स के साथ, उन्होंने होटल में छह महीने की ट्रेनिंग भी की थी।
सब्यसाची कहते हैं, “ मेरे एक चचरे भाई होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद मालदीव में काम कर रहे हैं। उन्होंने ही मुझे इस कोर्स को पूरा करने की सलाह दी थी। दरअसल उस समय डिप्लोमा के बाद रेलवे में IRCTC फ़ूड कैटरिंग विभाग में सरकारी नौकरी मिल जाती थी। मुझे क्रॉफ्ट का शौक था, इसलिए मैंने कोर्स के दौरान फ़ूड कार्विंग की अलग से ट्रेनिंग भी ली थी। जिसमें मुझे फल और सब्जियों पर सुंदर नक्काशी करना सिखाया गया था। सच कहूं तो मुझे पूरी उम्मीद थी की दिव्यांग कोटा में मुझे सरकारी नौकरी जरूर मिल जाएगी।”
लेकिन कहते हैं न कि कई बार आप जो सोचते हैं, वह नहीं हो पाता है। सब्यसाची के साथ भी यही हुआ। कुछ तकनीकी कारणों से, उन्हें नौकरी नहीं मिली। उन दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं, “सच कहूं तो मैंने केवल नौकरी की चाहत में कोर्स किया था। दिव्यांग होने की वजह से मैं ज्यादा देर खड़ा नहीं रह सकता हूं, इसलिए होटल में नौकरी करना मेरे बस की बात नहीं थी। कोर्स के दौरान मैंने छह महीने की ट्रेनिंग बड़ी मुश्किल से पूरी की थी। लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य था कि मुझे नौकरी नहीं मिली।”
कोरोना के दौरान पनपा कोकोनेट शेल से प्रोडक्ट बनाने का विचार
वह बताते हैं कि, उन्हें शुरु से ही कला से प्यार था जिसकी वजह से वे पहले फल-सब्जियों और थर्माकोल पर कार्विंग का काम कर चुके हैं। लेकिन कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान उनकी भांजी को साबुन पर नया कार्विंग करने का प्रोजेक्ट सौंपा गया था। कहते हैं न किसी काम को करने का आइडिया कब और कहां से आ जाएं कोई नहीं जानता है। सब्यसाची को भी उस प्रोजेक्ट को तैयार करने के दौरान ही यह विचार आया कि क्यों न नारियल के वैस्ट शेल (Coconut Shell) पर कार्विंग की जाएं।
ऐसे में इस विचार के साथ वे आगे बढ़े और यूट्यूब से नारियल के शेल से डेकोरेटिव आइट्मस (Decorative Items Made from Coconut Shell) बनाना सीखा। शुरुआत में तो उन्होंने इसे शौक को पूरा करने का जरिया माना लेकिन वर्तमान में उनका यह शौक बिजनेस का रूप ले लिया है।
रेलवे में सरकारी नौकरी करना चाहते थे सब्यसाची
सब्यसाची ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोलकाता से स्टेट इंस्टिट्यूट होटल मैनेजमेंट से फूड प्रोडक्शन से डिप्लोमा की पढ़ाई की थी। इस कोर्स को करने के पीछे उनका लक्ष्य था कि वे IRCTC के केटरिंग डिपार्टमेंट में सरकारी नौकरी कर सकें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने डिप्लोमा कोर्स के साथ ही 6 माह तक होटल में प्रशिक्षण लिया, जिसमें उन्हें फल-सब्जियों पर खुबसूरत कार्विंग करने की शिक्षा भी मिली थी।
हार न मानकर किया आगे बढ़ने का फैसला
ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने पूरे तन-मन से कोर्स कम्प्लीट की और नए और अलग-अलग तरह के सुन्दर कार्विंग करना सीखा। पूरे लगन से इतना सब करने के बाद उन्हें पूरा भरोसा था कि उन्हें रेलवे के IRCTC में दिव्यांग कोटा से नौकरी मिल जाएगी। लेकिन कहते हैं न कि यह कतई जरुरी नहीं जो हम चाहे वो हर बार हमें मिल जाएं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ, उन्हें ये नौकरी नहीं मिली।
स्पाइन में तकलिफ होने की वजह से छोड़नी पड़ी नौकरी
आज के समय में जीवन यापन करने के लिए हर किसी को नौकरी की जरुरत है। जब सरकारी नौकरी नहीं लगी तो सब्यसाची (Sabyasachi Patel) ने भी इस जरुरत को पूरा करने के लिए एक निजी होटल इंडस्ट्री में नौकरी करने लगे। लेकिन बचपन से ही रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से जूझ रहे 29 वर्षीय सब्यसाची ना तो अधिक समय तक ठीक से खड़े हो पाते हैं और ना ही सही से चलने में सक्षम हैं। इस वजह से उन्हें घंटों काम करने में तकलिफ होती थी, जिससे उन्होंने होटल की नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उसके बाद उन्होंने नौकरी को अलविदा कहकर अपने गांव वापस आ गए, जहां वे आगे की पढ़ाई किए।
Products From Coconut Shell
गांव के शादी और अन्य फंक्शन में करते थे कार्विंग का काम
स्नातक की पढ़ाई करने के साथ-साथ ही वे गांव में ही किराने की दुकान पर काम करने लगे। इतना सब होने के बावजूद भी उनके अंदर क्राफ्ट (Craft) का शौक जिन्दा था। उनके गांववाले भी उनके शौक और हुनर को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। जब भी उनक गांव में कोई शादी या कोई कार्यक्रम होता तो उसमें सब्यसाची बर्फ, थर्माकोल, फल और सब्जियों पर कार्विंग करते। इस काम के लिए वे कई अवार्ड्स भी अपने नाम दर्ज कर चुके हैं।
लेकिन कोरोना के कारण पूरी दुनिया थम सी गई थी, अनेकों लोगों के जीवन पर व्यापक स्तर पर इसका प्रभाव पड़ा। सब्यसाची की दुकान और कार्विंग के काम पर भी इसका असर पड़ा और दोनों बंद हो गए। घर पर पूरा दिन खाली-खाली व्यतीत होता था, उसी दौरान वे अपनी भांजी के प्रोजेक्ट बनवा रहे थे। उसे बनाने के दौरान ही उनके मन में वेस्ट कोकोनट शेल से डेकोरेटिव आइट्मस बनाने का विचार पनपा।
वह बताते हैं कि, कोकोनट तेल का इस्तेमाल करने के पीछे एक वजह यह थी कि वे नहीं चाहते थे कि इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाए। इसका इस्तेमाल करके उन्होंने सबसे पहले चाय का कप और गिलास बनाया। उसके बाद उन्होंने और अधिक प्रोडक्ट बनाने के लिए यूट्यूब का मदद लिया और वर्तमान में वे 18-20 आइट्मस बना लेते हैं।
सब्यसाची के अनुसार, कोरोना मारामारी में लॉकडाउन के दौरान मंदिर बंद होने के बावजूद भी सावन महीने में लोग मंदिर के दरवाजे पर ही नारियल रख कर चले जाते थे। यह देखकर उन्होंने मंदिर के पुजारी से बातचीत की और वहां से नारियल के शेल (Coconut Shell) लेने शुरू कर दिए। उन शेल का इस्तेमाल करके वे तरह-तरह के डेकोरेटिव आइटम्स बनाते हैं।
Handmade Products
पूरे ओड़िशा में मशहूर हैं “सब्यसाची क्रॉफ्ट” का प्रोडक्ट
यूनिक और खूबसूरत होने के कारण पूरे ओडिशा में सभी साथी द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स काफी मशहूर है। मार्केटिंग के लिए उन्होंने अपने दोस्तों के कहे जाने पर अपने प्रोडक्ट की फोटो फेसबुक पर अपलोड की, जिसके बाद प्रोडक्ट के तारीफों के पुल बंधने लगे। वह बताते हैं कि, उन्होंने जब फेसबुक पर फोटो अपलोड किया तो उसके कुछ दिन के बाद ही कटक से उनके पास वाइन कप और गिलास बनाने का ऑर्डर मिला।
इतना ही नहीं उन्हें 10 और ऑर्डर भी मिले, जिनमें से कुछ लोकल तो कुछ शहरों से थे। उन सभी के ऑर्डर को उन्होंने कूरियर के माध्यम से ग्राहकों तक पहुँचाया। बता दें कि, वे अपने द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को “सब्यसाची क्राफ्ट” (Sabyasachi Craft) के नाम से रजिस्टर्ड करवाया है।
लोकल न्यूज़ चैनल में इनके आर्ट और क्रॉफ्ट की हुई बातें
उन्होंने (Sabyasachi Patel) बताया कि, उस दौरान मेरे जिले में इस तरह का प्रोडक्ट कोई नहीं बनाता था, जिस कारण कई लोकल न्यूज़ चैनल में मेरे आर्ट और क्रॉफ्ट की बारे में बात होने लगी। इस न्यूज को जब ओडिशा के अमेज़न कंसल्टेंट सुधीर भोई ने देखा तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया और मुझे अमेज़न पर सेलर बनने के लिए प्रेरित किया। सुधीर भोई ने बताया कि, वे अमेज़न पर ज्यादा से ज्यादा सेलर को रजिस्टर करने के लिए काम करते हैं।
बता दें कि, अपने प्रोडक्ट्स को बहुत ही कम कीमत पर सब्यसाची (Sabyasachi Patel) बेचा करते थे, जिस कारण उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। यदि इसी समान को वे ऑनलाइन बेचते हैं तो उनके द्वारा बनाए गए एक कप या गिलास की कीमत 500 रुपये हो सकती है, जबकि वह अपने प्रोडक्ट को केवल 100 या 150 रुपये में बेच रहे थे।
Amazon के माध्यम से बढ़ रहा है कारोबार
सब्यसाची ने बताया कि, पूरे ओड़िशा में दूसरों द्वारा कोकोनट शेल से प्रोडक्ट बनाने नहीं किया जाता था। ऐसे में उनका यह काम लोगों को काफी आकर्षित कर रहा
सब्यसाची (Sabyasachi Patel) ने बताया कि, उन्होंने ‘सब्यसाची क्रॉफ्ट’ के नाम से रजिसर्टड करवाया है अमेजन पर उनका प्रोडक्ट “सब्यसाची क्रॉफ्ट” (Sabyasachi Craft) के नाम से बिकता है, जिसे आप भी खरीद सकते हैं।
हैंडमेड और इको-फ्रेंडली है सभी प्रोडक्ट
उनका प्रोडक्ट लोगों को काफी पसंद आ रहा है और उनका भरपूर प्यार भी मिल रहा है। अभी तक उन्हें हजारों ऑर्डर मिल चुके हैं। ऐसे में यह देखकर लगता है कि उनका काम जल्द ही काफी प्रसिद्ध होगा। वह कहते हैं कि उनके द्वारा बनाए गए सभी प्रोडक्ट हाथ से बनाए जाते हैं और सभी इको फ्रेंडली है।
सब्यसाची (Sabyasachi Patel) ने जिस प्रकार शारिरीक समस्याओं का सामना करते हुए अपने जोश से इस काम की शुरुआत की, उससे यह शिक्षा मिलती है कि इरादे मजबुत हो तो कोई भी काम कठिन नहीं है। बड़े ही साहस और धैर्य से सब्यसाची पटेल आज स्वरोजगार बनाकर खुद की ज़िंदगी सँवार रहे हैं, Kurmi World की तरफ से हम इन्हें ढेरों बधाइयां देते हैं और इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।