नन्हे वैज्ञानिक का आविष्कार, मौसम की तस्वीर दिखाएगा 'जादुई आईना'
किस्से-कहानियों में अक्सर आपने 'जादुई आईना' का जिक्र सुना होगा। ऐसा शीशा जिसमें जरूरत पडऩे पर जो चाहो देखा जा सकता है। ये और बात है कि बचपन की उन कहानियों में ये सिर्फ जादूगरों के पास ही होता था, लेकिन दसवीं के छात्र ने उन कपोल कल्पनाओं से प्रेरित होकर हकीकत में इसका 'आविष्कार' कर दिया है। इस जादुई आईना की खासियत यह है कि आप इसमें देखकर तैयार होने के साथ-साथ मौसम की 'तस्वीर' यानी कि उतार-चढ़ाव भी देख सकते हैं। शेयर बाजार का हाल भी ये चुटकियों में बता देता है। बिना किसी एक्सपर्ट की मदद से यह कारनामा करने वाले 'नन्हे वैज्ञानिक' दसवीं के छात्र सार्थक निरंजन हैं।
आइआइटी के पास नानकारी में रहने वाले सार्थक के पिता आलोक निरंजन पेशे से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हैं और उनकी मां दीक्षा हाउस वाइफ हैं। बकौल सार्थक 'जादुई शीशे' की कहानी सुनकर इसे बनाने का मन बनाया। घर में कंप्यूटर का एक पुराना मॉनीटर पड़ा था। घर में कुछ लकड़ी का काम हुआ था। उससे कुछ लकड़ी भी बची थी। इसलिए मॉनीटर से कुछ बड़ा एक शीशा लिया।
घर में पड़ी लकड़ी से उसका केबिन बनवाया और फिर मॉनीटर को उस शीशे के पीछे फिट कर दिया। इसके बाद उसमें रैस्पडेरी पीआइ चिप लगा दी। यह चिप रोबोटिक्स में काम आती है। सार्थक बताते हैं कि यह कंप्यूटर विंडो बेस्ड न होकर लिनक्स बेस्ड है। इसलिए कोडिंग ज्यादा मुश्किल नहीं थी। जो दिक्कत आई उसका इंटरनेट से हल निकाला जादुई शीशे का निर्माण कर दिया।
ऐसे करता है काम
शीशे के लिए इंटरनेट कनेक्शन जरूरी है। इसे वाईफाई से भी चलाया जा सकता है। शीशा वह सब कुछ दिखाता है जो आप मोबाइल पर देख सकते हैं। सामान्य तौर पर इसमें जो चिप लगी है उसमें जो कॉन्फिगरेशन होगा वही दिखेगा। मसलन अगर आपने चिप में मौसम, तापमान और घड़ी कॉन्फिगर कर दी है तो ये चीजें शीशे पर दिखती रहेंगी। यदि शेयर बाजार कॉन्फिगर किया है तो उसका अपडेट मिलता रहेगा।
महज छह सौ रुपये किए खर्च
सार्थक बताते हैं कि ये जादुई शीशा पूरी तरह घर में पड़े सामान से तैयार किया गया है। मॉनीटर और चिप पहले से पड़ी थी। कुछ एक छोटे-मोटे सामान बाजार से खरीदने पड़े। इसमें सिर्फ छह सौ रुपये का खर्च आया। मां दीक्षा बताती हैं कि सार्थक को बचपन से ही इस तरह की चीजें बनाने का शौक है। उसका कमरा ऐसे ही अनेक इलेक्ट्रॉनिक सामानों से भरा पड़ा है।
मम्मी-पापा का मिलता है सपोर्ट
नन्हे आविष्कारक सार्थक बताते हैं कि कई बार वह इस तरह की चीजें बनाते समय नुकसान भी कर डालते हैं। फिर भी उनके मम्मी पापा उन्हें कुछ नहीं कहते। बल्कि वे उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और कुछ नया करने के लिए सपोर्ट करते हैं। इसीलिए उन्हें यह मैजिक मिरर बनाने में सफलता मिली।