जब सरदार पटेल को करप्शन के आरोप से बचाने में जिन्ना ने की थी मदद
देश के लौह पुरुष सरदार पटेल का आज (31 अक्टूबर) जन्मदिन है। भारत से ब्रिटिश शासन के खत्म होने के बाद उन्होंने भारत को एक बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया था। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' आज हमें उनके विशाल वैचारिक कद की याद दिलाती है। जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम घटनाएं।
संघर्षभरा बचपन
सरदार पटेल का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा था। वह गरीब किसान परिवार से थे और खेतों में पिता की मदद करते थे। इस बात का असर उनकी शिक्षा पर भी पड़ा और वह 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास कर पाए थे। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई भी घर पर की थी।
काफी तेज था दिमाग
सरदार पटेल का दिमाग काफी तेज था, 36 साल की उम्र में वह वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए थे और 36 महीने का कोर्स उन्होंने सिर्फ 30 महीने में पूरा कर लिया था।
पटेल में था गजब का धैर्य
1909 में सरदार पटेल की पत्नी का निधन हुआ उस वक्त वह कोर्ट में बहस कर रहे थे। इसी समय किसी ने एक कागज के टुकड़े पर लिखकर उन्हें यह खबर दी। उन्होंने इसे पढ़कर जेब में रख लिया। आदालत की कार्यवाही खत्म होने के बाद उन्होंने इस दुर्घटना के बारे में सबको बताया और निकल गए।
सेवा की भावना
1930 में गुजरात में प्लेग फैला था उस दौरान उनके एक दोस्त को भी यह बीमारी हो गई। लोगों ने मना किया फिर भी पटेल उनकी सेवा करने पहुंच गए। पटेल को भी प्लेग हो गया। ठीक होने तक वह एक पुराने मंदिर में अकेले रहे।
जब जिन्ना ने की थी मदद
5 जनवरी 1917 को सरदार पटेल को अहमदाबाद पहली बार म्युनिसिपैलिटी में पार्षद बने। वह दरियापुर सीट से लड़े थे और सिर्फ एक वोट से जीते थे। सरदार पटेल और 18 पार्षदों पर करप्शन का चार्ज भी लगा था, इसमें उन्होंने जिन्ना की मदद ली थी। 1.68 लाख के फंड के हेरफेर का केस अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में किया गया था। पटेल यहां इस केस में बचा लिए गए थे लेकिन उन्हें एक साल बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में घसीटा गया। उस वक्त जिन्ना की मदद से सरदार पटेल केस जीते थे। इस घटना का जिक्र, रिजवान कादरी की किताब- एक सिंह पुरुष में है।
आरएसएस से नाराजगी
पटेल को गांधीजी से बेहद लगाव था। गांधीजी की हत्या की खबर सुनकर उनको सदमा लगा और वह बीमार रहने लगे थे। राज मोहन गांधी की बुक पटेल- अ लाइफ के मुताबिक, पटेल ने गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बैन कर दिया था। इतना ही नहीं वह चाहते थे कि संघ इंडियन नैशनल कांग्रेस में मिल जाए। उन्होंने कुछ जगहों पर आरएसएस के लोगों को गांधी की मौत पर जश्न मनाते देख, फरवरी 1948 को आरएसएस को बैन कर दिया था। पटेल को लगा था कि आरएसएस के लोगों को गलत राह दिखाई जा रही है।