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राष्ट्रीय अखंडता को मज़हबी चरमपंथियों व सत्ता लोलुपों से बचाने, सोमनाथ पुनरुद्धार व पाक परस्त निज़ाम को झुकाने जैसे अनगिनत यश सदा याद रखेगा राष्ट्र

यकीनन सिर्फ एक कदम आगे और बढ़े होते तो कश्मीर की समस्या होती और ही लगभग हर कोने फैल रहे मज़हबी चरमपंथ की.. उन्मादियों की, गद्दारों की उचित सज़ा को निर्भयता निसंकोच देने वाले लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल जी की आज पुण्यतिथि है..

हिन्दू विरोध का रूप ले चुकी एक ही पक्ष को पुचकारने वाली तत्कालीन कथित धर्मनिरपेक्षता की आंधी में उस समय जलते एकलौते चिराग से आज के भी कई राजनेता सीख ले सकते हैं .. उस समय ये देश के कोने कोने, इंच इंच को जोड़ कर मिला रहे थे जब कुछ तथाकथित आज़ादी के ठेकेदार विदेशी महिलाओं से इश्क की गिरफ्त में थे.

जब कश्मीर को बचाने के लिए पटेल जी सेना भेज रहे थे तब वही कथित नेता जी अपने प्रेमपत्र लिखने में व्यस्त होते थे..आज वही लौह पुरुष देश को सदा के लिए अलविदा कह गया था..सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्र भारत के उप प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने भारतीय संघ के साथ सैकड़ों रियासतों का विलय किया।

सरदार वल्लभभाई पटेल वकील के रूप में हर महीने हजारों रुपये कमाते थे। लेकिन उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए अपनी वकालत छोड़ दी। किसानों के एक नेता के रूप में उन्होंने ब्रिटिश सरकार को हार को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।

ऐसे बहादुरी भरे कामो के कारण ही वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है।बारडोली सत्याग्रह में अपने अमूल्य योगदान के लिये लोगो ने खुद से सरदार कहा . सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड ग्राम, गुजरात में हुआ था। उनके पिता जव्हेरभाई पटेल एक साधारण किसान और माता लाडबाई एक गृहिणी थी।

बचपन से ही वे परिश्रमी थे, बचपन से ही खेती में अपने पिता की सहायता करते थे। वल्लभभाई पटेल ने पेटलाद की एन.के. हाई स्कूल से शिक्षा ली। स्कूल के दिनों से ही वे विद्वान थे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके पिता ने उन्हें 1896 में हाई-स्कूल परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज भेजने का निर्णय लिया था..

लेकिन वल्लभभाई ने कॉलेज जाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद लगभग तीन साल तक वल्लभभाई घर पर ही थे और कठिन मेहनत करके बॅरिस्टर की उपाधी संपादन की और साथ ही में देशसेवा में कार्य करने लगे। वल्लभभाई पटेल एक भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे, और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेताओ में से एक थे.

इसी के साथ ही भारतीय गणराज्य के संस्थापक जनको में से एक थे। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिये कड़ा संघर्ष किया था और उन्होंने भारत को एकता के सूत्र में बांधने और आज़ाद बनाने का सपना देखा था। वे गुजरात के मुख्य स्वतंत्रता सेनानियों और राजनेताओ में से एक बन गए थे।

उन्होंने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में भी अपने पद को विकसित किया था और 1934 और 1937 के चुनाव में उन्होंने एक पार्टी भी स्थापित की थी। और लगातार वे भारत छोडो आन्दोलन का प्रसार-प्रचार कर रहे थे। भारतीय के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने पंजाब और दिल्ली से आये शरणार्थियो के लिये देश में शांति का माहोल विकसित किया था।

इसके बाद पटेल ने एक भारत के कार्य को अपने हाथो में लिया था और वो था देश को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाना। भारतीय स्वतंत्रता एक्ट 1947 के तहत पटेल देश के सभी राज्यों की स्थिति को आर्थिक और दर्शनिक रूप से मजबूत बनाना चाहते थे।

वे देश की सैन्य शक्ति और जन शक्ति दोनों को विकसित कर देश को एकता के सूत्र में बांधना चाहते थे। पटेल के अनुसार आज़ाद भारत बिल्कुल नया और सुंदर होना चाहिए। अपने असंख्य योगदान की बदौलत ही देश की जनता ने उन्हें "आयरन मैन ऑफ़ इंडिया - लोह पुरुष" की उपाधि दी थी।

इसके साथ ही उन्हें "भारतीय सिविल सर्वेंट के संरक्षक' भी कहा जाता है। कहा जाता है की उन्होंने ही आधुनिक भारत के सर्विस-सिस्टम की स्थापना की थी। सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसा नाम एवं ऐसे व्यक्तित्व है जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम के बाद कई भारतीय युवा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे।

लेकिन नेहरू - गांधी के कारण देशवासियों का यह सपना पूरा नही हो सका था। हैदराबाद उनके पुुलिस बल प्रयोग की वजह से ही 17 सितंबर 1948 को भारत मे विलीन हुवा, जब वहां के पाकिस्तान परस्त निज़ाम ने भारतीय फौजों के आगे घुटने टेके थे..

आज अर्थात 15 दिसंबर को भारत की अखंडता के लिए अंतिम सांस तक लड़े देश के दुश्मनों के खिलाफ हर पल सजग रहे , तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवयों द्वारा उपेक्षित रहे नकली कलमकारों की साजिश के शिकार रहे लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर उनको बारम्बार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है ..

सोमनाथ मंदिर के लिए उनके प्रयासों से आज श्रीराम मंदिर के मुद्दे को अधर में रखने वाले कई राजनेता शिक्षा ले सकते हैं और साथ ही हैदराबाद के पाकिस्तान परस्त निज़ाम के नकेल डालने की उनकी शैली देश मे रह रहे नक्सल भारत विरोधी लोगो पर अपना कर उनके दिखाए मार्ग का अनुशरण करते हुए उनको सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्ररक्षा राष्ट्र सेवा की जा सकती है ..

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