इंजीनियर की नौकरी में नहीं मिला मन को सुकून, मछली पालन में मिली खुशी, आज करोड़ों का टर्नओवर

कहते हैं कि अगर हौसला और सोच मजबूत हो, तो जिंदगी की दिशा कभी भी बदली जा सकती है. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के नंद किशोर पटेल, जिन्हें लोग प्यार से नंदू पटेल कहते हैं, ने इसी सोच के साथ अपनी जिंदगी का रास्ता बदल दिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्हें एक कंपनी में दो लाख रुपये वार्षिक वेतन पर नौकरी मिली लेकिन कुछ साल बाद उन्हें अहसास हुआ कि यह काम उनके मन को सुकून नहीं दे रहा. यहीं से उन्होंने अपनी जिंदगी को नए मोड़ पर ले जाने का फैसला किया. कोरोना काल के दौरान नंद किशोर पटेल ने मछली पालन के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की. उन्होंने स्थानीय मत्स्य विभाग और अनुभवी किसानों से बातचीत की, ट्रेनिंग ली और अपने खेत में तालाब खुदवाकर मछली पालन का काम शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने पारंपरिक तरीके से पालन किया लेकिन जल्द ही उन्होंने हाई-डेंसिटी फिश फार्मिंग का तरीका अपनाया.
नंद किशोर पटेल ने मछली पालन के 7 महीने के चक्र को तीन हिस्सों में बांटा- A, B और C तालाब. हर 80 दिन पर एक तालाब से मछलियां निकालते और उसी समय दूसरे तालाब में स्टॉक डालते. इससे लगातार उत्पादन और आय का सिलसिला चलता रहा. वह एक बार में करीब 20 टन मछली निकालते और सालभर में उनकी कमाई 70-80 लाख रुपये तक पहुंच गई.
बढ़ा कारोबार और जुड़े किसान
नंद किशोर पटेल ने अपने काम से अन्य किसानों को भी जोड़ा. आज उनके साथ एक पूरा किसान समूह है, जो मछली पालन कर रहा है. उन्होंने बाजार में अच्छी पकड़ बनाई है, जिससे जिंदा मछली की लगातार मांग बनी रहती है. इंदौर, उज्जैन और स्थानीय मंडियों में उनकी मछली 130-135 रुपये प्रति किलो बिकती है. इसके अलावा वह सी-डोरिंग के जरिए महीने में एक करोड़ रुपये तक का व्यापार भी कर रहे हैं.
भविष्य की योजना और एक्सपोर्ट
लोकल 18 से बात करते हुए नंद किशोर पटेल ने बताया कि अब वह वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जिसमें मछली से बने प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स और झींगा पालन शामिल है. उनकी योजना है कि इन प्रोडक्ट्स को विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाए. वर्तमान में वह पंगेसियस और झींगा पालन कर रहे हैं. अगर कोई किसान आधा या एक एकड़ जमीन से शुरुआत करे, तो वह आसानी से एक लाख रुपये महीना कमा सकता है. हालांकि इसमें 50 फीसदी तक निवेश की जरूरत होती है क्योंकि मछलियों के लिए हाई-प्रोटीन फीड खरीदना पड़ता है. शुरुआती दौर में पांच हजार मछली के बच्चों से शुरुआत कर भी अच्छी कमाई की जा सकती है.
खेत की फसल में भी फायदा
मछली पालन का पानी खेतों में उपयोग करने से सोयाबीन, प्याज, गेहूं और चने की फसल में 10-15 फीसदी तक उत्पादन बढ़ा है. यह पानी प्राकृतिक खाद के रूप में काम करता है, जिससे यूरिया जैसी रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती. बहरहाल आज नंद किशोर पटेल न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं बल्कि उन्होंने खंडवा के युवाओं को एक नई राह दिखाई है. उनका मानना है कि अगर किसी के पास जमीन और पानी है, तो मछली पालन लाखों रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है.