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पिता की मृत्यु के बाद संभाली उनकी खेती, एक कमरे में मशरूम उगाकर बच्चों को पढ़ने भेजा शहर

सामान्य सब्जियों के अलावा घर के एक कमरे में रहकर गुजरात की पुष्पा पटेल और पीनल पटेल मशरूम की खेती कर रही हैं। वे इससे खाखरा और आटा जैसे कई प्रोडक्ट्स तैयार करके बढ़िया मुनाफा भी कमा रही हैं।

हमलोगों ने यह महसूस किया होगा की पिछले कुछ सालों से अपने यहांँ के बाजारो में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है। जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसे में मशरूम की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं।

गुजरात के अमलसाड में रहनेवाली 43 वर्षीया पुष्पा पटेल, साल 2013 से खेती कर रही हैं। उन्होंने शादी के बाद आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने माता-पिता की पांच बीघा जमीन पर खेती करना शुरू किया था। हालांकि, वह एक किसान की ही बेटी हैं, लेकिन शादी से पहले उन्होंने कभी खेती नहीं की थी। पिता की मृत्यु के बाद, उनकी खाली पड़ी जमीन का सही उपयोग करने के लिए, उन्होंने खेती को अपनाया। कृषि यूनिवर्सिटी से सही तकनीक सीखकर, उन्होंने चीकू और कुछ मौसमी सब्जियां उगाईं

आज हम बात करेंगे, एक ऐसी हीं महिला किसान की जो अपने संघर्ष से मशरूम की अच्छी उपज कर लाखों रूपये कमा रहीं हैं।

तो आइए जानते हैं उस महिला और उनके खेती से जुड़ी सभी जानकारियां-

कौन है वह महिला ?

हम पुष्पा पटेल (Pushpa Patel) की बात कर रहे हैं, जो गुजरात (Gujaraat) के अमलसाड की रहने वाली हैं। इनकी उम्र 43 साल है। पेशे से मशरूम की खेती करने वाली किसान पुष्पा पटेल अपने आत्मनिर्भरता के चलते आजकल खूब सुर्खिया बटोर रही हैं।

पिता के मृत्योपरांत शुरू की मशरूम की खेती

पुष्पा पटेल के (Pushpa Patel) पिता के मृत्यू के पश्चात उनके घर में कोई भी खेती करने वाला नहीं था। उनके भाई विदेश रहते थे, इसलिए पुष्पा पटेल ने अपने शादी कर बाद भी पिता के 5 बीघा जमीन का सदुपयोग करने का मन बनाया तथा कृषि यूनिवर्सिटी से सही तकनीक सीखकर अपने मां के साथ मिलकर अपने खेतों में चीकू और कुछ मौसमी सब्जियां उगाईं।

2 साल बाद उनकी (Pushpa Patel) मां की मृत्यु हो गई और वे अकेले ही खेती का काम संभालने लगी। कुछ सालों के बाद उन्होंने कुछ नए प्रयोग करना चाहा और उसी दौरान उन्हें कृषि यूनिवर्सिटी से ही मशरूम फार्मिंग और इसके फायदे के बारे में जानकारी मिली। जानकारी अच्छे से प्राप्त करके उन्होंने ओएस्टर मशरूम की खेती अपने घर के एक कमरे में करना शुरू किया।

शुरुआती दौर में लगा घटा

शुरुआती समय में गांव में कोई भी मशरूम खाना या उसे खरीदना पसंद नहीं करता थे, जिसके कारण मशरूम की खेती में उन्हें शुरुआती नुकसान भी उठाना पड़ा था। इसके एक साल बाद उन्हें (Pushpa Patel) कृषि यूनिवर्सिटी की ओर से लगने वाले मेले में मशरूम बेचने के लिए मार्केट मिला और उसके बाद उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा तब फिर उन्होंने मशरूम की व्यवसायिक खेती करना शुरू किया। इस खेती के लिए उन्होंने 15 हजार रुपये का शुरुआती निवेश किया और उसे महीने भर में ही वसूल कर लिया।

वे (Pushpa Patel) बताती हैं कि, जब उन्होंने खेती की शुरुआत की थी तब उनके इलाके में कोई जैविक खेती नहीं करता था, लेकिन इन्होंने ट्रेनिंग लेकर खेती करना शुरू किया था, इसलिए इन्होंने कभी भी केमिकल का प्रयोग अपने खेत में नहीं किया।

ओएस्टर मशरूम

कैसे होता है ओयस्टर मशरुम की खेती?

ओयस्टर मशरूम लगाने के लिए सबसे पहले उत्पादन कक्ष की जरूरत होती है। ये कक्ष यानी बॉक्स कच्र्ची इंटों, पोलिथीन तथा धान या अन्य फसल के पुआल से बनाऐ जा सकते हैं। इन उत्पादन कक्षों में खिड़की और दरवाजों पर जाली लगी होनी चाहिए, ताकि हवा का उचित आगमन हो सके। वैसे तो ये उत्पादन कक्ष किसी भी आकार के हो सकते है, जैसे 18 फुट लंबा 15 फुट चौड़ा 10 फुट ऊंचा कक्ष बनाया जा सकता है। इस नाप के कक्ष में लगभग 300 बैग रखे जा सकते हैं। ढींगरी मशरूम का उत्पादन किसी भी प्रकार की बिना सड़ी गली फसल अवशिष्ट पर किया जा सकता है। फसल अवशिष्ट या भूसा 2-3 सेमी साइज का कटा हुआ होना चाहिए।

वे (Pushpa Patel) बताती हैं कि, वे 130 रुपये किलो ओएस्टर मशरूम के बीज लाती हैं, जिससे 10 से 12 बैग मशरूम उग जाते हैं। जैविक तरीके से मशरूम की उपज करने से मात्र 15 दिन में तैयार हो जाते हैं और पहली बार में एक किलो बीज से 10 किलो उत्पादन हो जाता है।

पुष्पा पटेल

घर के खाली कमरे में उगाए मशरूम

पुष्पा, खेती में कुछ नया करना चाहती थीं। उन्हें कृषि यूनिवर्सिटी से ही मशरूम फार्मिंग और इसके फायदे के बारे में पता चला। उस दौरान उनके आस-पास के गांव में कोई भी मशरूम नहीं उगाता था। लेकिन उन्होंने एक बार कोशिश करने का फैसला किया। उनके घर में एक कमरा था, जहां वह खेती का बाकी सामान रखती थीं, वहीं उन्होंने ओएस्टर मशरूम उगाने का फैसला किया।

शुरू-शुरू में उन्होंने आस-पास के लोगों और रिश्तेदारों को फ्री में मशरूम दिए। गांव में कोई भी मशरूम खाना या उसे खरीदना पसंद नहीं करता था। मशरूम की खेती में उन्हें शुरुआती नुकसान भी उठाना पड़ा था। लेकिन तकरीबन एक साल बाद, उन्हें कृषि यूनिवर्सिटी की ओर से लगने वाले मेले में मशरूम बेचने के लिए मार्केट मिला। इसके बाद उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा और फिर उन्होंने मशरूम की व्यवसायिक खेती करना शुरू किया। पुष्पा ने खेती करने के लिए 15 हजार रुपये का शुरुआती निवेश किया था, जो महीने भर में ही वसूल हो गया।

लागत कम और मुनाफा ज्यादा

मशरूम का उत्पादन एक अच्छा बिजनेस है। इसमें लागत बहुत कम लगती है। उत्पादन कक्ष भी कच्चे और कम लागत पर बनाए जा सकते है।

पुष्प पटेल(Pushpa Patel), फिलहाल अपने द्वारा उत्पादन किए गए मशरूम को कृषि केंद्र पर ही बेचती हैं। एक किलो मशरूम वे 250 रुपये में बेचती हैं। वे बताती हैं कि, प्रति स्क्वायर फीट 1300 रुपये खर्च करके, वह आराम से 15 दिन में 3000 का मुनाफा कमा लेती हैं। इसके अलावें, अगर ताजे मशरूम की बिक्री नहीं होती है तो उसको सुखाकर पाउडर बना लेती हैं और बाद में इससे खाखरा आदि बनाकर बेचती हैं।

कहां से मिला खाखरा बनाने का आइडिया?

खाखरा बनाने के लिए वह गेहूं के आटे के साथ मशरूम पाउडर और दूसरे मसाले मिलाती हैं। उनका कहना है कि सामान्य आटे को और ज्यादा पौष्टिक बनाने के लिए उसमें मशरूम का आटा मिलाते हैं। मशरूम से बने हेल्दी खाखरे के 10 से 15 पीस वह 50 रुपये में बेचती हैं। खाखरा बनाने का आइडिया उन्हें कृषि केंद्र से ही मिला था।

पुष्पा द्वारा खेती में किए गए इन नए प्रयोगों के कारण, उनकी आय में तीन से चार लाख का इजाफा हुआ। वह कहती हैं, “आज इसी आर्थिक आत्मनिर्भरता की वजह से मैंने अपने बच्चों को गांव से बाहर, शहर में पढ़ाई करने के लिए भेजा है।

आज उनके बच्चे जब भी छुट्टियों में घर आते हैं, तो खेती में माँ की पूरी मदद करते हैं। उनकी परिधि पटेल कहती हैं, “मैं डेयरी बिज़नेस करना चाहती हूँ। पढ़ाई ख़त्म करने के बाद, मैं माँ के साथ मिलकर काम करना चाहती हूँ।

पीनल कहती हैं, “मैं मेरे पति के साथ खेती में मदद करती थी। लेकिन जब मुझे पता चला कि मशरूम की खेती आराम से घर के एक कमरे में हो सकती है। तब मैंने इसकी ट्रेनिंग ली। पहली बार मशरूम उगाने के लिए मुझे बीज भी मुफ़्त्त में मिले थे। आज मैं बिल्कुल कम निवेश के साथ प्रति माह 10 हजार रुपये आराम से कमा लेती हूँ।

पीनल भी ताजे मशरूम के साथ-साथ, इसका पाउडर तैयार करती हैं। इतना ही नहीं, अब वह भी अपने गांव की महिलाओं को खेती की ट्रेनिंग दे रही हैं। पुष्पा और पीनल की तरह ही गांव की कई महिलाएं आज घर से ही मशरूम की खेती से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं।

 

मशरूम पाउडर

अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजा गांव से बाहर

पुष्पा बताती है कि, मशरूम के उत्पादन से अच्छे कमाई करके आज मैने अपने बच्चे को पढ़ाई से लिए गांव से बाहर शहर में भेजा है ताकि वे अच्छे शिक्षा ग्रहण कर सकें।

बता दें कि, इनकी बेटी डेयरी टेक्नोलॉजी की पढ़ाई आणंद में रहकर कर रही हैं। जबकि उनका बेटा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई गुजरात के अरवल्ली में रहकर कर रहा है।

Mushroom Khakhra

दूसरे महिलाओं को मशरूम उत्पादन करने के लिए किया प्रेरित

पुष्पा अपने साथ-साथ, दूसरी महिला किसानों को भी मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करती रहती हैं। अब तक वह 60 लोगों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उनके पास के गांव की ही एक महिला पीनल पटेल, ढाई साल पहले एक गृहिणी थीं। लेकिन अपनी आय बढ़ाने के लिए उन्होंने पारम्परिक खेती से हटकर कुछ नया करने का सोचा। इसके बाद, उन्होंने कृषि यूनिवर्सिटी के जरिए पुष्पा से संपर्क किया और उन्हीं से पीनल पटेल ने मशरूम उगाना सीखा।

लोगों के लिए बनी हैं प्रेरणा

अपने मेहनत और संघर्ष के बदौलत घर के खाली कमरे से मशरूम की खेती की शुरुआत करने वाली पुष्पा पटेल (Pushpa Patel) आज के समय में अपने दम पर पाँच बीघा खेतों में मशरूम तथा अन्य तरहों की खेती कर रहीं हैं। उनकी इस तरह की आत्मनिर्भरता हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। अपने संघर्षशील और सफल काम के वजह से पहचान बनाने वाली महिला आज के समय में हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बनीं है।

सम्पर्क सूत्र : किसान साथी यदि खेती किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें kurmiworld.com@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फ़ोन नम्बर +91 9918555530 पर कॉल करके या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं Kurmi World के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल ।

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