मिलिए मुंबई पुलिस के रियल लाइफ़ 'सूर्यवंशी', IPS विश्वास पाटील से जिनसे प्रेरित होकर बनी फ़िल्म
अक्षय कुमार की 'सूर्यवंशी' (Sooryavanshi) दिवाली के मौक़े पर थियेटर्स में रिलीज़ हुई. कोविड-19 पैंडेमिक के दौर में ये पहली बड़ी बैनर की फ़िल्म है जो थियेटर्स में रिलीज़ की गई
मिलिए मुंबई पुलिस के रियल लाइफ़ सूर्यवंशी से
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अक्षय कुमार ने कहा कि सूर्यवंशी में उनका रोल मुंबई पुलिस के एक ऑफ़िसर से प्रेरति है और वो सालों से मुंबई पुलिस में हैं.
अक्षय कुमार ने बताया कि फ़िल्म में उनका किरदार विश्वास नांगरे पाटील से प्रेरित है.
कौन हैं विश्वास नांगरे पाटील?
विश्वास नांगरे पाटील (Vishwas Nangre Patil) 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों (26/11 Mumbai Terror Attack) के समय साउथ मुंबई के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस ज़ोन-1 थे. कोलाबा स्थित ताज होटल में उन्होंने आतंकवादियों के का सामना करने के लिए बनी एक टीम का नेतृत्व का किया था और एक आतंकी को मार गिराया था.
देश के सर्वश्रेष्ठ IPS अधिकारियों में से एक
विश्वास पाटील देश के सर्वेश्रेष्ठ IPS अधिकारियों में से एक हैं. अपने व्यक्तित्व और दोस्ताना अंदाज़ के ज़रिए उन्होंने युवाओं को महिला सुरक्षा, ट्रैफ़िक नियम और ग्रामीण विकास जैसे अहम मुद्दों पर जागरूक किया.
आर.माधवन के साथ बिताए थे हॉस्टल के दिन
सांगली ज़िले के शिराला तहसील के छोटे से शहर कोकरूद के विश्वास पाटील ने शिराला के ही न्यू इंग्लिश स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. विश्वास पाटील कभी अपने हॉस्टल के दिनों की बातें शेयर नहीं करते, इसकी वजह है कि उन्होंने 'आर.माधवन' के साथ अपना रूम शेयर किया था.
गांव से निकलकर बने हज़ारों लोगों के लिए प्रेरणा
IPS विश्वास नांगरे पाटील 1997 बैच के ऑफ़िसर हैं, 25 साल की उम्र में उन्होंने UPSC परीक्षा पास की. फ़िल्हाल वो जॉइंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस, मुंबई सिटी के पद पर हैं. वे नासिक सिटी के भी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस रह चुके हैं.
26/11 मुंबई हमलों में दिखाया शौर्य
IPS विश्वास नांगरे पाटील का सफ़र आसान नहीं था. गांव से निकलकर, कभी UPSC एस्पिरेंट रहे इस शख़्स को राष्ट्रपति से पुलिस मेडल भी मिल चुका है. 2008 में मुंबई हमलों में उन्होंने काउंटर-टेरॉरिस्ट ऑपरेशन में अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया.
युवाओं के लिए प्रेरणा हैं विश्वास सर
IPS विश्वास नांगरे पाटील युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. न सिर्फ़ वो अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं बल्कि अपनी फ़िटनेस का भी ध्यान रखते हैं. वे मुंबई में होने वाले लगभग हर मैराथॉन में हिस्सा लेते हैं.
उन्होंने 'मन में है विश्वास' नाम से किताब भी लिखी है.